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ईरान परमाणु वार्ता का पहला दौर सकारात्मक

२० फ़रवरी २०१४

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर पहले दौर की बातचीत अच्छी रही. ऐसा दावा यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी कैथरीन ऐश्टन ने किया है. दूसरे दौर की बातचीत 17 मार्च को निर्धारित है.

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तस्वीर: IRNA

ईरान, ब्रिटेन, चीन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और रूस के शीर्ष राजनयिकों ने वियेना में इस हफ्ते बातचीत की. गुरुवार को इन देशों के बीच पहले दौर की बातचीत खत्म हो गई. पिछले साल नवंबर में इन देशों के बीच अंतरिम समझौते हुआ था. ये समझौता 20 जनवरी से लागू हुआ और इसके तहत ईरान ने कुछ परमाणु गतिविधियां कम करने का वादा किया था. बदले में ईरान पर लगे प्रतिबंधों में राहत और नई रोक नहीं लगाने का वादा था.

यह समझौता 20 जुलाई तक लागू है हालांकि इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. बातचीत में शामिल छह देशों की कोशिश है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इतनी लगाम लगाई जाए कि वह इससे परमाणु हथियार नहीं बना सके. ईरान के प्लूटोनियम और यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने की भी कोशिश की जा रही है. इन दोनों का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने के लिए हो सकता है. अंतिम समझौता हो जाने से ईरान पर लगे अरबों डॉलर के प्रतिबंध हटाए जा सकेंगे.

ईरान का इनकार

ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम में कटौती का विरोध करता आया है. उसका कहना है कि परमाणु कार्यक्रम हथियार बनाने के लिए नहीं हो रहा है. पश्चिमी देशों और ईरान, दोनों का मानना है कि अंतिम समझौते पर पहुंचने से पहले बहुत कुछ करने की जरूरत है. यूरोपीय संघ की विदेश आयुक्त कैथरीन ऐश्टन के मुताबिक, "हमने तीन दिनों की उपयोगी बातचीत में उन मुद्दों की पहचान की जिनपर हमें व्यापक और अंतिम समझौता बनाने के दौरान ध्यान देना होगा. करने के लिए बहुत कुछ है. हालांकि यह आसान नहीं होगा लेकिन हमने अच्छी शुरूआत की है."

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने अपने फेसबुक पेज पर बातचीत को "बहुत गंभीर" और "किसी भविष्यवाणी की तुलना में ज्यादा सकारात्मक" बताया लेकिन साथ ही लिखा है कि आगे का रास्ता मुश्किल भरा होगा. पत्रकारों से भी बातचीत करते हुए जरीफ ने कहा, "बातचीत के दौरान न तो किसी के पास मौका था और न ही है कि वे ईरान पर कोई फैसला थोपे."

वार्ता में शामिल अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख वेंडी शेरमन इस्राएल, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करेंगीं और वहां के नेताओं के साथ बातचीत की प्रगति पर चर्चा करेंगीं. ईरान बार बार कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और वह ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के इरादे से बनाया गया है. हालांकि पश्चिमी देश इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. उनका शक है कि इसकी आड़ में तेहरान परमाणु बम बना रहा है.

एए/एमजी (एपी,रॉयटर्स,डीपीए)

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