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ईरान के लिए अहम है राष्ट्रपति चुनाव

१९ मई २०१७

ईरान में नये राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है. सारे संकेत इस बात के हैं कि मुकाबला मौजूदा राष्ट्रपति हसन रोहानी और उनके कट्टर रूढ़िवादी प्रतिद्वंद्वी इब्राहिम रईसी के बीच है. ईरान चुनाव पर महत्वपूर्ण तथ्य.

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Iran wahlen 2017
तस्वीर: Mehr

इस चुनाव में भाग लेने के लिए के लिए अप्रैल में 1636 उम्मीदवारों ने पजिस्ट्रेशन कराया था. अंत में सिर्फ चार बचे हैं. राष्ट्रपति हसन रोहानी और मुस्तफा हाशेमी ताबा को सुधारवादी धड़े का माना जाता है जबकि इब्राहिम रईसी और मुस्तफा आगा मीरसलीम कट्टर रूढ़िवादी हैं. जीतने की संभावना सिर्फ हसन रोहानी या इब्राहिम रईसी की है. दोनों उम्मीदवारों में एक समानता ये भी है कि वे देखने में एक जैसे लगते हैं, सिर्फ पगड़ी का रंग उन्हें अलग करने में मदद देता है. राजनीतिक विचारों के मामले में वे बहुत ही अलग हैं. वोट देने के समय 5.6 करोड़ मतदाता विदेशनैतिक खुलेपन या टकराव में से एक को चुनेंगे.

उम्मीदवार

हसन रोहानी: उदारवादी राष्ट्रपति पश्चिमी देशों के साथ देश की नजदीकी की अपनी नीति जारी रखना चाहते हैं. इस नीति की पराकाष्ठा जुलाई 2015 में तय परमाणु संधि थी. 68 वर्षीय रोहानी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आगे थे, इसके बावजूद दूसरे कार्यकाल का संघर्ष कठिन साबित हो सकता है. चुनाव प्रचार में उन्होंने नागरिक अधिकारों और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के मुद्दे को केंद्र में रखा है, इसकी वजह से उन्हें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों का समर्थन मिल रहा है. अर्थव्यवस्था में भी पिछले दिनों में हल्की तेजी आई है. रोहानी को ईरानी मुद्रा को स्थिर बनाने में कामयाबी मिली है. लेकिन खासकर युवाओं के बीच बेरोजगारी और संभावनाओं की कमी सबसे बड़ी समस्या है. प्रतिबंधों को हटाये जाने के बावजूद अपेक्षाकृत निवेश नहीं हो रहा है.

इब्राहिम रईसी: रोहानी के अनुदारवादी प्रतिद्वंद्वी इसी का फायदा उठाना चाहते हैं. वह मौजूदा सरकार के कुप्रबंधन की आलोचना कर रहे हैं और सामाजिक न्याय की मांग कर रहे हैं. रईसी का राष्ट्रपति पर आरोप है कि वह संभ्रांत वर्ग के लिए राजनीति कर रहे हैं और गरीबों को नजरअंदाज कर रहे हैं. विदेशनीति में वह पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी के बदले टकराव के पक्षधर हैं. उनका नारा है, "दुश्मन के सामने कमजोरी नहीं दिखानी है." हालांकि वे परमाणु संधि पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन ईरान को और खोले जाने के विरोधी हैं, विदेशी निवेश के मामले में भी. वे पश्चिम से आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता के पक्षधर हैं. उन्हें कुछ हलकों में सुप्रीम धार्मिक नेता खमेनाई का उत्तराधिकारी भी माना जाता है.

मुस्तफा मीरसलीम: मीरसीलम को भी रूढ़िवादी धड़े का समझा जाता है. पूर्व में संस्कृति मंत्री रहे मीरसलीम 20 साल पहले ईरानी राजनीति की अगली कतारों से पीछे हट गये थे और सुलह समिति के साधारण सदस्य थे. यह समिति सरकार और संसद के बीच विवादास्पद मुद्दों पर मध्यस्थता करती है.

मुस्तफा हाशेमी-ताबा: 76 वर्षीय सुधारवादी हाशेमी मोहम्मद खतामी के कार्यकाल में 1997 से 2005 तक उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. वे सालों तक ईरानी की ओलंपिक समिति के प्रमुख भी रहे हैं.

राष्ट्रपति को कितना अधिकार

ईरान की राजनीतिक व्यवस्था में राष्ट्रपति सर्वोच्च नहीं है. इस्लामी क्रांति के बाद से देश का सर्वोच्च नेता सर्वोच्च धार्मिक नेता होता है. हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर उसका फैसला अंतिम होता है. वह देश की घरेलू और विदेश नीति तय करता है और ईरान की सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है. राष्ट्रपति हालांकि कार्यपालिका के प्रमुख के रूप में देश की सत्ता संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन वह अपने हर फैसले में सर्वोच्च धार्मिक नेता की सहमति पर निर्भर होता है.

चार साल के लिए चुना जाने वाला राष्ट्रपति देश की आर्थिक नीति के लिए जिम्मेदार है. वह अपने मंत्रियों का चुनाव खुद करता है लेकिन उसके लिए उसे निगरानी परिषद और संसद से अनुमोदन लेना पड़ता है. दो कार्यकाल के तुरंत बाद राष्ट्रपति तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता. जीतने के लिए उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा मतों की जरूरत होती है. अगर किसी उम्मीदवार को इतना वोट नहीं मिले तो फैसला दूसरे चरण में 26 मई को होगा.