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"इराक युद्ध के लिए माफ करें"

२६ अक्टूबर २०१५

इराक युद्ध ने इस्लामिक स्टेट को खड़ा करने में भूमिका निभाई. 2003 में अमेरिका के साथ इराक पर हमला करने वाले ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने यह कबूल किया.

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तस्वीर: Win McNamee/Getty Images

पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन से कहा कि इराक युद्ध के चलते आईएस का उदय हुआ, "इस बात में कुछ हद तक सच्चाई है." आईएस यानि इस्लामिक स्टेट अब इराक और सीरिया के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ले चुका है.

रविवार को प्रसारित हुए इंटरव्यू में टोनी ब्लेयर ने इराक युद्ध से जुड़ी गलती स्वीकार करते हुए कहा, "आप यह नहीं कह सकते कि हममें से जो लोग 2003 में सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए जिम्मेदार हैं, वे 2015 के हालात के लिए जिम्मेदार नहीं हैं."

Tony Blair
1997 से 2007 तक प्रधानमंत्री रहे ब्लेयरतस्वीर: Reuters/B. McDermid

ब्लेयर ने यह भी स्वीकार किया कि इराक युद्ध गलत खुफिया जानकारी के चलते हुआ. उन्होंने माना कि खुफिया एजेंसियों का यह दावा कि सद्दाम हुसैन के पास व्यापक जनसंहार के हथियार थे, गलत निकला. इराक युद्ध की कीमत ब्लेयर की लेबर पार्टी को 2010 के चुनावों में चुकानी पड़ी. ब्लेयर ने इराक युद्ध के लिए माफी मांगते हुए कहा, "मैं इस तथ्य के लिए माफी मांगता हूं कि हमें जो खुफिया सूचना मिली, वह गलत थी. सत्ता को उखाड़ने के बाद क्या होगा, खास तौर पर इसकी योजना बनाने में हुई गलतियों के लिए मैं माफी मांगता हूं."

2003 से 2009 तक इराक में 179 ब्रिटिश सैनिकों की मौत हुई. 2003 के बाद शुरू हुई हिंसा में 10 लाख से ज्यादा इराकी जान गंवा चुके हैं. 2009 में ब्रिटेन की इराक युद्ध नीति की सार्वजनिक जांच शुरू हुई. अब मध्य पूर्व संकट के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अपनी ही नीतियों को दोष दे रहे हैं. इंटरव्यू में ब्लेयर ने कहा, "हमने इराक में सेना उतारी और दखल देने की कोशिश की. हमने लीबिया में बिना सेना के दखल देने की कोशिश की. हमने सीरिया में कोई दखल नहीं दिया लेकिन सत्ता परिवर्तन की मांग की. मेरी नजर में यह साफ नहीं है कि अगर हमारी (2003 की) नीति कारगर नहीं रही, तो क्या उसके बाद वाली नीतियां असरदार रहीं?"

अपनी ही सरकार की नीतियों पर ब्लेयर जैसा ही कड़ा हमला अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दावेदार डॉनल्ड ट्रंप ने भी किया है. जॉर्ज बुश की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप के मुताबिक अगर आज भी इराक में सद्दाम हुसैन और लीबिया में गद्दाफी जैसे तानाशाह होते, तो दुनिया एक बेहतर जगह होती. सद्दाम हुसैन को 2006 में फांसी दी गई और लीबियाई तानाशाह मुअम्मर गद्दाफई की 2011 में पीट पीटकर हत्या कर दी गई.

कई लोग टोनी ब्लेयर की सफाई से नाराज हैं. उनका आरोप है कि ब्येलर को इस तरह सफाई का मौका नहीं देना चाहिए. लोगों का आरोप है कि ब्लेयर सिर्फ तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के समर्थन के चक्कर में इराक में घुसे. उन्होंने इराक युद्ध के लिए ब्रिटिश जनता, संसद और कानूनी विशेषज्ञों से मशविरा लेने में कोई दिलचस्पी नहीं ली. कुछ प्रमुख हस्तियां ब्लेयर को द हेग की अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अदालत में पेश करने की मांग भी कर रही हैं.

ओएसजे/आईबी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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