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इस्राएल ने शांति वार्ता रोकी

२५ अप्रैल २०१४

शांति की तरफ अनिच्छुक फलीस्तीन और इस्राएल को साथ लाने की अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की कोशिशों को गुरुवार को तगड़ा झटका लगा है.

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तस्वीर: Reuters/Ronen Zvulun

इस्राएल और फलीस्तीन के बीच शांति वार्ता स्थगित होने से अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की महत्वाकांक्षी उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. दशकों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने की दिशा में जॉन केरी कड़ी मेहनत कर रहे थे लेकिन केरी ने हार मानने से इनकार कर दिया है. उनके मुताबिक, मध्य पूर्व में शांति के लिए "हम कभी अपनी उम्मीद या संभावनाओं के लिए प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ सकते हैं." विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि दोनों देशों के बीच सब कुछ खत्म हो जाने का एलान करना बहुत जल्दबाजी होगी.

गुरुवार को केरी ने ताजा झटके को आशावादी रूप में चित्रित करने की कोशिश की. इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू के तेल अवीव में इस एलान के बाद कि शांति वार्ता पीछे की तरफ चली गई है, अमेरिकी विदेश मंत्रालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जॉन केरी ने कहा, "हमेशा ही आगे का एक रास्ता बना रहता है."

यहां तक ​​कि केरी की शांति वार्ता की इच्छाओं से सहानुभूति रखने वाले राजनयिकों और विशेषज्ञों ने कहा है कि बातचीत एक तरह से जीवनरक्षा प्रणाली पर चली गई है. जबकि औरों का कहना कि ओबामा प्रशासन को दिशाहीन विदेश नीति से ध्यान हटाकर और जरूरी नीतियों पर केंद्रित रहना चाहिए.

केरी ने निराशाजनक स्थिति को स्वीकार करते हुए कहा कि इस्राएल और फलीस्तीन के नेताओं को पिछले 9 महीनों की वार्ता को जिंदा रखने के लिए समझौता करने के लिए तैयार होने की जरूरत है. दोनों देशों की तरफ से जैसे को तैसा वाली नीति के बावजूद केरी ने वार्ता को जारी रखने के लिए लंबा संघर्ष किया है. सबसे बड़ा झटका बुधवार को तब लगा जब फतह और हमास के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के मुताबिक दोनों संगठन कुछ सप्ताह में एक गठबंधन सरकार बनाने और 6 महीने के बाद नए चुनाव कराने पर राजी हुए हैं. हमास को अमेरिका, यूरोपीय संघ और दुनिया के अधिकतर देश एक आतंकवादी संगठन मानते हैं. हमास ने इस्राएल के विनाश का एलान कर रखा है.

एए/एएम (एपी, एएफपी)