इबोला से बचने के तरीके
भारत में इबोला के पहले मरीज का पहुंचना और स्वस्थ होने के सर्टिफिकेट के बावजूद व्यक्ति के वीर्य में इबोला वायरस का पाया जाना बताता है कि भले ही खून से इबोला खत्म हो गया हो लेकिन कम से कम 90 दिन नजर रखना जरूरी है.
कैसे फैलता है
इस चित्र में देखा जा सकता है कि रक्त के अलावा शारीरिक स्त्राव से इबोला फैलता है. मां के दूध में और वीर्य में 90 दिन तक इबोला वायरस सक्रिय रह सकता है.
खुले में शौच बंद
संयुक्त राष्ट्र ने लोगों से 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे के मौके पर अपील की है कि सभी देशों में खुले में शौच जाना पूरी तरह खत्म कर दिया जाना चाहिए. यूएन को आशंका है कि पश्चिम अफ्रीका में इबोला फैलने का यह भी एक कारण है.
सुरक्षा जरूरी
सबसे जरूरी है इबोला के मरीज को बाकी लोगों से अलग थलग रखना. जो भी इलाज कर रहा है उसका भी बचाव जरूरी है. इसलिए सिक्यूरिटी सूट पहनना जरूरी है.
हवा से नहीं
इबोला का वायरस हवा के जरिए नहीं फैलता, बल्कि शारीरिक संपर्क से संक्रमित होता है. इस संपर्क में संक्रमित व्यक्ति का पसीना, खून और कपड़े खतरनाक हो सकते हैं. शवों के संपर्क में आने से भी बीमारी फैलती है.
टीके की तैयारी
वैसे अभी तक इबोला का कोई टीका नहीं बन सका है लेकिन इसके परीक्षण जारी है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दिसंबर 2014 से इस टीके का प्रभावित इलाकों में असर देखा जाएगा.
समय से इलाज
इबोला संक्रमण में बुखार अक्सर टाइफाइड या वायरल बुखार के जैसा दिखाई पड़ता है. इसलिए अगर इबोला संक्रमण की आशंका हो तो तुरंत रक्त की जांच करवानी चाहिए. तेज इलाज के जरिए जान बचाई जा सकती है.
चमगादड़ से
इबोला वायरस के फैलने का मूल स्रोत फल खाने वाला चमगादड़ होता है. इस फ्रूट बैट के खाए फल खाने से या फिर इसका मांस खाने से इंसान में ये वायरस फैल सकता है.
किसने खोजा
साल 1976 में प्रोफेसर पेटर पियोट ने इबोला वायरस की पहचान की थी. उसी साल इबोला का पहला संक्रमण भी देखा गया था.