इन मुद्दों पर मिलती है क्लिंटन और ट्रंप की राय
८ नवम्बर २०१६ज्यादातर मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और डॉनल्ड ट्रंप सहमत नहीं हैं. लेकिन कम से कम तीन मुद्दे ऐसे हैं जिन पर वे सहमत हैं. कम से कम एक के बारे में सुनकर आप भी चकित रह जाएंगे.
मुक्त व्यापार संधि का विरोध
ये 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान की सबसे चौंकाने वाली बात है. राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवार मुक्त व्यापार के खिलाफ हैं. ट्रंप और क्लिंटन दोनों ने कहा है कि राष्ट्रपति बनने पर वे तय हो चुके ट्रांस पेसिफिक संधि को रोक देंगे. यह व्यापक मुक्त व्यापार संधि अमेरिका और 11 अन्य देशों के बीच की गई है. यह बयान कई वजहों से ध्यान देने वाला है. एक तो यह अमेरिका की नीतियों में अहम बदलाव होगा क्योंकि अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियां अब तक मुक्त व्यापार का समर्थन करती आई हैं. दूसरे इसलिए कि क्लिंटन ने विदेश मंत्री के रूप में टीपीपी संधि तय करवाने में मदद की है.
मजेदार बात है कि रिपब्लिकन पार्टी हमेशा से मुक्त व्यापार की चैंपियन रही है. डेमोक्रैट इस मामले में उतने उत्साही नहीं रहे हैं, लेकिन हिलेरी के पति बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति काल में उन्होंने विवादास्पद उत्तर अमेरिकी व्यापार संधि नाफ्टा का समर्थन किया था. हिलेरी ने पार्टी के अंदर अपने प्रतिद्वंदी बर्नी सैंडर्स के दबाव में विरोध का रास्ता अपनाया है. एक और दिलचस्प बात. डॉनल्ड ट्रंप लगातार प्रोडक्शन को मेक्सिको आउटसोर्स करने वाली अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं, लेकिन अपनी कंपनियों में उन्होंने भी वही किया है.
अमेरिकी संरचना में निवेश
क्लिंटन और ट्रंप दोनों ने ही अमेरिका की रोड, पुल, एयरपोर्ट और जलमार्ग जैसी पुरानी पड़ती ढांचागत संरचना को नया करने का आश्वासन दिया है. क्लिंटन की अमेरिकी ढांचे के पुनर्निर्माण पर पांच साल के कार्यक्रम के दौरान 275 अरब डॉलर खर्च करने की योजना है. ट्रंप ने कहा है कि क्लिंटन द्वारा किया जाने वाला निवेश बहुत कम है और वे कम से कम इसका दोगुना खर्च करेंगे. लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई विस्तृत योजना पेश नहीं की है.
क्लिंटन और ट्रंप दोनों को उम्मीद है कि देश के ढांचागत संरचना में उनके इस निवेश से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा. इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश मतदाता के हर वर्ग में लोकप्रिय रहता है. हाल के एक सर्वे के अनुसार 68 प्रतिशत रिपब्लिकन, 70 प्रतिशत स्वतंत्र और 76 प्रतिशत डेमोक्रैट मतदाताओं का मानना है कि वॉशिंगटन को देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना चाहिए.
पूर्व सैनिकों का स्वास्थ्य
ट्रंप और क्लिंटन दोनों ही पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाना चाहते हैं ताकि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. ये कोई छोटी चुनौती नहीं है. अमेरिका के करीब 1.9 करोड़ पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्य मतदाताओं का अहम हिस्सा हैं और डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स संघीय सरकार की बड़ी एजेंसियों में शामिल हैं.
देश के पूर्व सैनिकों को वेटरन्स दफ्तर द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवा 2014 के बाद से बहस का महत्वपूर्ण मुद्दा बनती गई है. उस समय चिकित्सा का इंतजार कर रहे कई पूर्व सैनिकों की मौत से सरकार की भारी किरकिरी हुई थी. दोनों ही उम्मीदवार पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा संरचना को बदलना चाहते हैं. ट्रंप चाहते हैं कि पूर्व सैनिकों को प्राइवेट मेडिकल सुविधा मिले जबकि क्लिंटन प्राइवेट हेल्थ केयर सविधाओं का विरोध कर रही हैं.