इन इलाकों को डुबो सकता है खारा पानी
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से सन 2100 तक समुद्र का जलस्तर 65 सेंटीमीटर ऊपर उठ सकता है, यानि पानी करीब कमर के बराबर ऊपर आ जाएगा. इसकी वजह से कई शहर और देश डूबने लगेंगे.
नील नदी का डेल्टा
अफ्रीका में नील नदी के डेल्टा पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. अगर समुद्र का पानी 50 सेंटीमीटर भी ऊपर उठा तो सिकंदरिया (अलेक्जांड्रिया) शहर के लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा.
शंघाई
चीन का सबसे बड़ा शहर शंघाई समुद्र के किनारे बसा है. अनुमान है कि समुद्र का बढ़ता जलस्तर शंघाई के एक से दो करोड़ बाशिंदों को दूसरे इलाकों में जाने पर मजबूर कर सकता है.
बांग्लादेश
समुद्र का पानी अगर एक मीटर ऊपर चढ़ा तो बांग्लादेश की 30 हजार वर्गकिलोमीटर जमीन डूब जाएगी. इस जमीन पर फिलहाल 1.5 करोड़ लोग निर्भर हैं.
फिलीपींस
फिलीपींस के तटीय इलाके समुद्र से कुछ ही सेंटीमीटर की ऊंचाई पर हैं. आशंका है कि जलवायु परिवर्तन फिलीपींस के कुछ द्वीपों को डुबा देगा. इन द्वीपों पर अलग अलग भाषाओं और संस्कृतियों वाले समुदाय रहते हैं.
आर्किपेलागो इलाका
अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के मुताबिक समुद्र के बढ़ते जलस्तर का असर कुछ द्वीपों पर बहुत ही ज्यादा पड़ेगा. हिंद महासागर में मालदीव और प्रशांत महासागर में तुवालू जैसे इलाकों को एक मीटर ऊपर उठा पानी डूबा देगा.
नीदरलैंड्स
यूरोप में समुद्र के बढ़ते जलस्तर का सबसे ज्यादा खतरा नीदरलैंड्स पर है. खारे पानी के एक मीटर ऊपर ऊठते ही यूरोप में करीब 1.3 करो़ड़ लोग प्रभावित होंगे. नीदरलैंड्स की सरकार कई दशकों से लगातार जमीन को खारे पानी से बचाने की कोशिश कर रही है.
बार्सिलोना
वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सन 2100 तक बार्सिलोना समेत यूरोप के कई खूबसूरत बीच डूब जाएंगे. लोगों के साथ साथ इसकी मार कई बंदरगाहों पर भी पड़ेगी.
वेनिस
इटली का रूमानी शहर वेनिस बीते कई साल से बढ़ते जलस्तर का सामना कर रहा है. 1897 के मुकाबले आज वेनिस में समुद्र का जलस्तर 30 सेंटीमीटर ऊंचा है. 2018 में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि इस सदी के अंत तक यह खूबसूरत शहर जलमग्न हो जाएगा.
लंदन
ब्रिटेन की राजधानी लंदन पर समुद्र के उठते जलस्तर की सीधी मार नहीं पड़ेगी. लेकिन ऊपर उठा पानी थेम्स नदी के ताजा जल को पीछे धकेल देगा और बाढ़ की घटनाएं बढ़ेंगी.