इतिहास में आज: 23 मई
२२ मई २०१४अमेरिका के राइट बंधुओं ने पहला हवाई जहाज बना कर दुनिया को हैरान कर दिया लेकिन असल में उड़ने के ख्वाब को पहली बार हकीकत में बदला जर्मनी के ओटो लिलिएनथाल ने. लिलिएनथाल ने ग्लाइडर बनाया और उससे कई उड़ानें भरीं. बार बार उड़कर उन्होंने साबित कर दिया कि इंसान उड़ान भरने वाली मशीन विकसित कर सकता है.
पंछियों को कई साल तक करीब से देखने के बाद लिलिएनथाल ने ग्लाइडर बनाया. उसके पंख पंछियों जैसे ही बनाए गए. पंखों को साधने के लिए उन्हें लकड़ी से कसा. इसके बाद लिलिएनथाल बर्लिन में 10 मीटर ऊंची इमारत में गए. छत से उन्होंने छलांग मार दी. उनकी साहसिक छलांग ने इंसानी सभ्यता का सदियों पुराना उड़ने का सपना साकार कर दिया.
इसके बाद उन्होंने तमाम ऊंची चोटियों से कई बार उड़ान भरी. बिना इंजन के सिर्फ हवा की मदद से उन्होंने कुल पांच घंटे उड़ान भरी. वह 1896 में बर्लिन के पास एक ऊंची पहाड़ी पर गए. वहां से उन्होंने तीन बार सफल उड़ान भरी. लेकिन चौथी बार ग्लाइडर नाक के बल गिरा. लिलिएनथाल ने उसे संभालने की भरसक कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए. धरती से 15 मीटर की ऊंचाई पर ग्लाइडर का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया और वह पूरी रफ्तार से गिरा. लिलिएनथाल लिलीनथाल को गंभीर चोटें आई. अगले दिन 10 अगस्त 1896 को उनकी मौत हो गई.
अमेरिका के राइट बंधुओं ने लिलिएनथाल की तकनीक का गहरा अध्ययन किया. इसके आधार पर ही वो पहला हवाई जहाज बनाने में सफल हुए. विल्बर राइट के मुताबिक, "लिलिएनथाल ने इंसान के हजारों साल के बोझ को अकेले झटक दिया." लिलिएनथाल को आज ग्लाइडर किंग के नाम से जाना जाता है.