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इतिहास में आज: 14 अप्रैल

१२ अप्रैल २०१४

एक सदी पहले विलासिता और शान ओ शौकत से भरपूर टाइटैनिक जहाज समुद्र में सफर करते समय हिमखंड से टकरा गया था. टाइटैनिक को इस तरह से तैयार किया गया था कि वो कभी डूबे नहीं लेकिन एक हिमखंड से टकराकर यह डूब गया.

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तस्वीर: AP

एक मई 1911 को ठीक 12 बज कर 13 मिनट पर टाइटैनिक को बेलफास्ट में पानी में उतारा गया था. बेलफास्ट से टाइटैनिक को न्यूयॉर्क ले जाया गया जहां से करीब एक साल बाद यह विशाल जहाज यात्रियों के साथ अपनी पहली और आखिरी समुद्र यात्रा पर निकला. एक बर्फ के पहाड़ से टकराने के कारण टाइटैनिक यात्रा के पांचवें दिन ही डूब गया. जहाज पर मौजूद 1,517 लोगों की मौत हो गई. 1911 में बना टाइटैनिक अपने समय का सबसे बड़ा जहाज था. इसे बनाने में 15 हजार लोगों की मेहनत लगी थी.

जहाज की हिमखंड से टक्कर 14 अप्रैल 1912 को हुई और एक दिन बाद यानी 15 अप्रैल को वह पानी में डूब गया. कई दशकों तक इसके मलबे की तलाश चली. आखिरकार 1985 में समुद्र तल से करीब चार किलोमीटर नीचे पड़ा इसका मलबा ढूंढ लिया गया. टाइटैनिक का डिजाइन आयरिश जहाज निर्माता विलियम पेरी ने तैयार किया था. टाइटैनिक की लंबाई 883 फीट थी. जहाज में 16 कंपार्टमेंट थे. ऐसा माना जाता था कि सभी कंपार्टमेंट जलरोधी थे. लेकिन 14 अप्रैल की रात हिमखंड से टक्कर के बाद टाइटैनिक के पांच कंपार्टमेंटों को नुकसान पहुंचा और उसमें पानी भरने लगा. जहाज में सवार यात्री समंदर में कूद गए.

जहाज में यात्री और चालक दल के सदस्यों को मिलाकर 2,200 लोग सवार थे. 15 अप्रैल को रात 2.20 बजे जहाज डूब गया. टाइटैनिक में लाइफबोट की कमी के कारण करीब पंद्रह सौ से ज्यादा लोगों की उत्तर अटलांटिक के ठंडे पानी में डूबने से मौत हो गई. 700 लोगों को बचा लिया गया जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं थीं. टाइटैनिक हादसे के बाद सार्वजनिक जहाजों की सुरक्षा के कड़े नियम बनाए गए और हिमखंड से जहाजों को बचाने के लिए सागर में पेट्रोलिंग भी शुरू की गई.

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