इतिहास में आजः 3 अगस्त
३ अगस्त २०१४मैथिलीशरण गुप्त 12 साल से ही ब्रजभाषा में कविता लिखना शुरू किया. नर हो न निराश करो मन को, कुछ काम करो, कुछ काम करो.. कविता लिखने वाले गुप्त ने 1914 में राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत 'भारत भारती' लिखी. 1916-17 में उन्होंने 'साकेत' लिखना शुरू किया जिसमें उर्मिला के प्रति उपेक्षा भाव को खत्म करने की कोशिश की गई. इसके बाद उन्होंने खुद पुस्तक प्रकाशन शुरू किया. 1931 में उन्होंने 'पंचवटी' लिखी.
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झूम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥
महात्मा गांधी ने राष्ट्रकवि का दर्जा दिया. 1953 में उन्हें पद्मविभूषण और फिर 54 में पद्मभूषण प्रदान किया गया. उनके काव्य में राष्ट्रीय चेतना, धार्मिक भावना और मानवीय उत्थान की भावना अहम है. "भारत भारती' के तीन खण्डों में देश का अतीत, वर्तमान और भविष्य दिखाया गया है.12 दिसंबर 1964 को दिल का दौरा पड़ने से राष्ट्रकवि गुप्त का निधन हो गया.