इतिहास में आजः 28 मई
२८ मई २०२१जर्मनी में 1930 के दशक की शुरुआत में, कारें एक लक्जरी थीं. उन दिनों अधिकांश जर्मन मोटरसाइकिल से ज्यादा कुछ भी खरीद पाने की हालत में नहीं होते थे. 50 में से केवल एक जर्मन के पास कार थी. मध्यमवर्गीय लोगों में एक संभावित नए बाजार की उम्मीद से कुछ कार निर्माताओं ने खुद की "पीपल्स कार" परियोजनाएं शुरू कीं.
जर्मनी में 1933 में हिटलर सत्ता में आ चुका था. 1934 में, जर्मन लेबर फ्रंट नामक एक नाजी संगठन ने ऑस्ट्रियाई ऑटोमोटिव इंजीनियर फर्डिनांड पोर्शे को कार का मूल डिजाइन बनाने के लिए चुना. हिटलर के नेतृत्व वाली जर्मन सरकार का उद्देश्य एक ऐसी कार का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना था जो आम आदमी और मध्यम वर्ग के पहुंच में हो. इसके लिए उसका किफायती और सुलभ होना जरूरी था.
इन्हीं प्रयासों का परिणाम थी वह पहली "फोक्सवागेन बीटल" जो अपने पूरे इतिहास में वोक्सवागन की नींव के रूप में बनी रही. 28 मई, 1937 को औपचारिक रूप से "गेजेलशाफ्ट सुअ फोरबेराइटुंग डेस डोएचेन फोक्सवागन्स एमबीएच" (जर्मन फोक्सवागेन लिमिटेड की तैयारी के लिए कंपनी) की स्थापना की गई. 1938 में इसका नाम बदलकर "फोक्सवागेनवैर्क जीएमबीएच" कर दिया गया और कंपनी ने अपना मुख्य प्लांट वोल्फ्सबर्ग शहर में बनाया. जर्मन शब्द फोक्सवागेन का शाब्दिक अर्थ "लोगों की कार" ही है.
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, ब्रिटिश सैन्य सरकार ने जून 1945 में फोक्सवागेन के कारखाने की जिम्मेदारी संभाली और फोक्सवागेन के खास और मशहूर मॉडल बीटल का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया. तब से लेकर आज तक इतने दशकों में वोक्सवागेन ने बीटल के अलावा गोल्फ, पोलो और पसाट जैसे कई अन्य मॉडल जारी किए हैं. यह जर्मनी की सबसे बड़ी और दुनिया भर में टोयोटा के बाद दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है.