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इतिहास में आजः 20 जनवरी

१८ जनवरी २०१४

अमेरिका के सबसे युवा राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने आज ही के दिन देश के 35वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. पहले भाषण में उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया पर बाद में पता चला कि इसकी सबसे अहम लाइन उन्होंने टीचर की नकल की थी.

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John F. Kennedy
तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी राष्ट्रपति इसी दिन शपथ लेते हैं. 20 जनवरी, 1961 को जब केनेडी ने अमेरिका के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति 70 साल के आइजनहावर से पद भार लिया तो कहा, "यह मत पूछो कि तुम्हारा देश तुम्हारे लिए क्या कर सकता है. पूछो कि तुम अपने देश के लिए क्या कर सकते हो." यह उनके भाषण की सबसे अहम लाइन साबित हुई. करीब 50 साल बाद एक किताब में जिक्र आया कि किस तरह यह लाइन केनेडी के पूर्व हेडमास्टर की थी, जो वह अपने छात्रों में उत्साह भरने के लिए कहा करते थे.

ब्रिटिश अखबार डेलीमेल ने एक नवंबर, 2011 को रिपोर्ट छापी, "अमेरिकी लेखक क्रिस मैथ्यूज ने 'जैक केनेडीः इल्यूसिव हीरो' में लिखा है कि किस तरह केनेडी ने यह लाइन अपने पूर्व हेडमास्टर जॉर्ज सेंट जॉन से उठाई. यह उस वक्त की बात है, जब वह कनिकट में पढ़ते थे."

केनेडी अमेरिका में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले राष्ट्रपतियों में शुमार हैं. उनके वक्त में अमेरिका में रंगभेद नीति के खिलाफ उबाल आया और मार्टिन लूथर किंग जूनियर भी उसी दौरान उफान पर थे. केनेडी ने शीत युद्ध के काल में बिलकुल अलग रवैया अपनाते हुए एलान किया कि उनका देश चांद पर जाएगा. उसी दशक में 1969 में अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग चांद पर पहुंचने वाले पहले इंसान बने.

केनेडी लीक से हट कर सोचने वाले राष्ट्रपतियों में गिने जाते हैं. 1963 में उन्होंने बंटे हुए जर्मनी में पश्चिमी बर्लिन में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा, "इश बिन आइन बर्लिनर." यानि मैं बर्लिन का एक नागरिक हूं. करीब 10 लाख लोग उन्हें सुनने जमा हुए, जिसमें केनेडी ने कहा, "आजादी में बहुत तकलीफें हैं और लोकतंत्र बिलकुल सही नहीं है. लेकिन हम कभी भी अपने लोगों के बीच दीवार नहीं खड़ी कर सकते कि उन्हें दूर जाने से रोक सकें."

इसी साल 22 नवंबर को अपनी डेमोक्रैटिक पार्टी में चल रहे झगड़े को सुलटाने जब वह डलास गए, तो उनकी हत्या कर दी गई.