इतिहास में आजः 12 अक्टूबर
११ अक्टूबर २०१३विज्ञापन
आठ साल की बच्ची का श्वसन तंत्र पोलियो या इन्फैंटाइल पैरालिसिस के कारण काम करना बंद कर चुका था. सांस नहीं लेने के कारण वह मरने की हालत में पहुंच गई थी. उस दौरान आयरन लंग रेस्पिरेटर का पहली बार क्लीनिकल प्रयोग किया गया. एक मिनट के अंदर उस बच्ची की जान बची और मशीन मशहूर हो गई.
ड्रिंकर रेस्पिटेर के नाम से मशहूर इस मशीन को फिलिप ड्रिंकर और लुइस अगासिज ने बनाया था. मशीन इलेक्ट्रिक मोटर से चलती थी और उसमें वैक्यूम क्लीनर वाले दो एयर पंप लगे हुए थे. एयर पंप से चौकोन, एयर टाइट मेटल बॉक्स के जरिए हवा फेंफड़ों से निकाली और उसमें डाली जा सकती है. इसे निगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर कहा जा सकता है. इसे तब इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी बीमारी के कारण सांस नहीं आ सके.