इतना बड़ा मालवाहक
दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों में शामिल एमओएल ट्रायंफ हैम्बर्ग के पोर्ट में पहुंचा. जापानी कंपनी के इस जहाज का हैम्बर्ग आना जहाजरानी की संभावनाओं और मुश्किलों को दिखाता है.
सबसे लंबा
एमओएल ट्रायंफ 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है. जापान की मित्सुई ओएसके लाइंस के जहाज ने हैम्बर्ग के बर्खार्दकाई टर्मिनल पर लंगर डाला.
भारी क्षमता
इस जहाज पर 20,170 स्टैंडर्ड कंटेनर ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. लेकिन हैम्बर्ग पोर्ट की गहराई कम होने के कारण वह आधा लदा था.
कोरियाई जहाज
यह जहाज दक्षिण कोरिया की सैमसंग कंपनी ने बनाया है. इसे 15 मार्च को पानी में उतारा गया और 27 मार्च को मालिकों को सौंपा गया.
चीन-यूरोप
यह इस कंटेनर शिप की पहली यात्रा है. वह द अलायंस शिपिंग कंपनी के झंडे तहत चीन और यूरोप के बीच कंटेनरों का ट्रांसपोर्ट करेगा.
बढ़ता कारोबार
जैसे जैसे अंतरराष्ट्रीय कारोबार बढ़ रहा है, खर्च बचाने के लिए ट्रांसपोर्ट के साधनों का आकार भी बढ़ रहा है. लेकिन उससे मुश्किलें भी खड़ी हो रही हैं.
हैम्बर्ग पोर्ट
हैम्बर्ग में लंबे समय से पोर्ट को गहरा बनाने पर बहस चल रही है. अगर पोर्ट पर्याप्त गहरे न हों तो बड़े जहाजों का वहां लंगर डालना मुश्किल है.
टर्मिनल ब्रिज
20,000 से ज्यादा कंटेनरों की आसानी से लदाई और चढ़ाई के लिए बड़े ब्रिज की जरूरत होगी. सभी बंदरगाहों को अतिरिक्त निवेश करना होगा.
ट्रांसपोर्ट की समस्या
अगर 20 हजार कंटेनरों को उतारना और उतने ही को लादना हो तो ट्रकों और ट्रेन से उनकी जल्दी ढुलाई भी एक समस्या है.
रोड जैम
सड़कों और रेल की संरचना ऐसी नहीं. इसलिए सड़कों पर कंटेनरों के ट्रांसपोर्ट के दौरान भारी जैम लगने का खतरा है.
पर्यावरण चिंताएं
पोर्ट को गहरा बनाने और बड़े पैमाने पर कंटेनरों से माल लाने ले जाने में पर्यावरण चिंताएं भी हैं. इनका असर इलाके की जैव विविधता पर होगा.