1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इंसान से हारा तेज रफ्तार चीता

३० दिसम्बर २०१६

धरती का सबसे तेज रफ्तार जानवर लुप्त होने की कगार पर है. इंसान ने चीते का 91 फीसदी इलाका छीन लिया है.

https://p.dw.com/p/2V333
Artenschutz in Zentralasien Gepard
तस्वीर: Morteza Eslami

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस वक्त दुनिया में 7,100 चीते ही बचे हैं. करीब 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाला यह जानवर भारी मुश्किल में है. ब्रिटेन के जीवविज्ञानियों ने चीतों पर ताजा शोध भी किया है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक चीतों का 91 फीसदी इलाका इंसान ने हथिया लिया है.

बचा खुचा 9 फीसदी इलाका उन्हें शेर, तेंदुए और लकड़बग्घे जैसे ताकतवर शिकारियों के साथ बांटना पड़ रहा है. इन ताकतवर शिकारियों के साथ चीतों का आए दिन संघर्ष होता है. कमजोर चीते अक्सर ऐसे संघर्ष में मारे जाते हैं. तेज रफ्तार के बावजूद चीते शारीरिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं. दौड़ने के बाद वो इतना थक जाते हैं कि अपने शिकार की रक्षा भी नहीं कर पाते. ऐसे में तेंदुए और लकड़बग्घे जैसे बड़े जानवर उनका शिकार छीन लेते हैं. तेंदुएं और शेर तो चीतों को मार भी देते हैं.

Galerie - Asiatischer Gepard
छोटे जानवरों पर निर्भर रहता है चीतातस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Salemi

कभी भारत से लेकर अफ्रीका तक फैले चीते आज सिर्फ ईरान और अफ्रीका में मिलते हैं. ईरान में इनकी संख्या करीब 50 आंकी गई है. जिम्बाब्वे में 1998 में 1,500 चीते थे, आज उनकी संख्या 150 से 170 के बीच रह गई है. जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन की चीता विशेषज्ञ सारा डुरेंट के मुताबिक, "यह चीतों के लिए बड़ा मुश्किल भरा समय है. उन्हें बड़े इलाके की जरूरत पड़ती है."

इस शोध में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी और पैंथेरा ने भी हिस्सा लिया. दोनों संगठनों ने इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर्स से चीतों को "खतरे" में पहुंची प्रजाति की श्रेणी में रखने की मांग की.

Bildergalerie Iranische Geparden
बहुत तेजी से खत्म हो रहे हैं चीतेतस्वीर: ICS/ DoE/CACP/PANTHERA

विशेषज्ञों के मुताबिक चीतों को बचाना आसान काम नहीं है. अफ्रीका में ज्यादातर चीते संरक्षित इलाकों के बाहर रहते हैं. ऐसे में गैरकानूनी शिकार भी एक बड़ी समस्या है. दिसंबर 2016 में कंबोडिया में वन्य जीवों के 150 क्विंटल अवशेष मिले. इनमें चीतों की हड्डियां भी शामिल थीं. कंबोडिया से यह खेप चीन पहुंचाई जानी थी. चीन में बाघ, शेर, तेंदुएं और चीते की हड्डियों, मांस और खाल की बड़ी मांग हैं.

ओएसजे/आरपी (एपी, एएफपी)