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इंसानों के सुनने की शक्ति का राज क्या है

६ दिसम्बर २०१९

इंसानों और दूसरे स्तनधारियों में सुनने की तीव्र चेतना उनके पूर्वज सरीसृपों से अच्छी है. वैज्ञानिकों ने इसकी वजह का पता लगा लिया है. करोड़ों साल पहले धरती पर रहे एक जीव से इसकी जानकारी मिली है.

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तस्वीर: Colourbox

वैज्ञानिकों ने हाल ही में खोजे गए एक आदिम जीव में विकास के दौर की अवस्थाओं की पहचान कर ली है. यह जीव करीब 12.5 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद था और आज के उत्तरपूर्वी चीन के इलाके में रहता था. पृथ्वी पर जीव की उत्पत्ति की श्रृंखला में एक कड़ी गुम थी जिसे अब ढूंढ लिया गया है. वैज्ञानिकों की इस खोज के बारे में साइंस जर्नल में रिपोर्ट छपी है. जीवाश्मिकी से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस खोज का स्वागत किया है.

इस जीव के जीवाश्म का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इंसानों और दूसरे स्तनधानरियों के कान के मध्य में तीन छोटी छोटी हड्डियां होती हैं. इन्हीं की वजह से इंसान और दूसरे स्तनधारियों में सुनने की तीव्र चेतना होती है. ये हड्डियां स्तनधारियों से पहले धरती पर आए सरीसृपों में नहीं थीं.

Delfine Unterwasser
तस्वीर: Getty Images/D. Pozo

लुअवो यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी गियेर्मो रूजी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह शानदार सबूत हैं." न्यूयॉर्क के अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के जिन मेंग रिसर्च रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक हैं. उन्होंने बताया कि यह रिसर्च छह जीवों के जीवाश्मों पर आधारित है जो अर्ली क्रेटेसियस युग के प्रोटो मैमल्स हैं. इनका नाम उन्होंने "ओरिगोलेस्टेस ली" रखा है और ये जीव इस धरती पर उस वक्त मौजूद थे जब यहां डॉयनोसॉर भी हुआ करते थे. दिखने में इनका आकार और रूप रंग चूहे जैसा है.

सरीसृप यानी रेंग कर चलने वाले जीवों के जबड़े चबाने के अलावा बाहरी आवाजों को तरंगों के जरिए दिमाग तक पहुंचाने में भी मदद करते हैं. इसके उलट स्तनधारियों में सुनने का तंत्र जटिल होता है. इस तंत्र में हथौड़ी, निहाई (लोहे का वह टुकड़ा जिस पर लुहार धातु को रख कर कूटते हैं) और वलयक (इंसान में मौजूद सबसे छोटी हड्डी जो तरंगों को निहाई और कर्णावर्त यानी कान के भीतर की सर्पिल रचना से गुजारती है) जैसी संरचना होती है. इन तीनों की मदद से ही इंसान को मधुर संगीत का मजा और डॉल्फिनों को मार्ग में आने वाली बाधा का पता चल जाता है. डॉल्फिन चलते समय आवाज निकालती है और इन आवाजों की तरंगें जब उसके पास लौटती हैं तो उसे अपने सामने मौजूद चीज के आकार का पता चल जाता है. 

 वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सुनने और चबाने का तंत्र अलग होने की वजह से स्तनधारियों के भोजन में विविधता और सुनने की क्षमता बेहतर हुई है. हाई रेजॉल्यूशन वाले सीटी स्कैन और इमेजिंग की तकनीकों का इस्तेमाल कर चीन की एक टीम ने इस जीव के नमूने का विस्तार से अध्ययन किया है. इसमें कान से जुड़ी हड्डियों कार्टिलेज की संरचना का भी बखूबी अध्ययन किया गया.

मेंग का कहना है, "अब हमने जीवों की उत्पत्ति के समय जीवाश्म सबूत पेश कर दिया है जो हमारे अनुमान को सही बता रहा है." हालांकि वैज्ञानिकों के पास इस सवाल का जवाब फिलहाल नहीं है कि यह सभी स्तनधारियों में हुआ या फिर केवल कुछ चुनिंदा स्तनधारियों में. रूजी का कहना है, "यह सिर्फ एक बार हुआ या फिर यह अलग अलग समूहों में हुआ? जहां यह सवाल पूछा जा सकता है, हम उस तरफ बढ़ रहे हैं." मेंग का कहना है कि वह और उनके साथी जीवाश्मों के अलग अलग हिस्सों पर रिसर्च कर रहे हैं, इनमें ब्रेन कैविटी भी शामिल है. स्थनधारियों की उत्पत्ति के बारे में कुछ और जानकारी सामने आ सकती है.

एनआर/एके(एएफपी)

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