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इंडो पेसिफिक में अब जर्मनी भी आया भारत के साथ

महेश झा
३ नवम्बर २०२०

भारतीय विदेश सचिव के बर्लिन दौरे पर इंडो पेसिफिक में सहयोग का खाका खिंच गया है. जर्मन रक्षा मंत्री ने अगले साल हिंद महासागर में जर्मन युद्धपोत भेजने की बात कही है. हर्षवर्धन श्रृंगला ने चीन और पाकिस्तान की आलोचना भी की.

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Still DW News Harsh Vardhan Shrigla

विदेश सचिव ने बर्लिन में जर्मन अधिकारियों के साथ बातचीत में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और इंडो पेसिफिक में साझा रणनीति पर जोर दिया है. हर्षवर्धन श्रृंगला ने ने जर्मनी के विदेश राज्य मंत्री नील्स आनेन से भी जर्मनी की इंडो पेसिफिक रणनीति पर बातचीत की. अमेरिका के साथ पिछले हफ्ते विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर पर 2+2 वार्ता के बाद विदेश सचिव फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के दौरे पर हैं. उन्होंने इंडो पेसिफिक में जर्मनी की नई रणनीति का स्वागत किया.

जर्मनी अगले साल से हिंद महासागर की पेट्रोलिंग के लिए एक युद्धपोत भेजेगा. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड को दिए गए एक इंटरव्यू में जर्मन रक्षा मंत्री आने क्रांप कारेनबावर ने कहा कि इंडो पेसिफिक दुनिया की खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण हो गया है. उन्होंने कहा कि यूरोप पिछले सालों में चीन के आर्थिक एजेंडा और भूराजनीतिक रणनीति को समझने लगा है.

भारतीय विदेश सचिव ने फ्रांस में आतंकी हमले को साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया और कहा कि यह हमारी लंबे समय से कही जा रही बात का सबूत है कि आतंकवाद कोई सीमा नहीं देखता. उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ देश जो आतंकवाद के स्रोत हैं, अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति पाने के लिए खुद को आतंकवाद का शिकार बताते हैं.

इमरान खान के बयान की आलोचना

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने भारत की तुलना नाजी शासन जैसे फासिस्ट स्टेट से की थी. इमरान खान ने ये बात जर्मनी की समाचार पत्रिका डेय श्पीगेल के साथ एक इंटरव्यू में कही थी. हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, "ये बयान ऐसे देश के प्रधानमंत्री की ओर से आया है जो इस्राएल को मान्यता नहीं देता, जो अब तक यह नहीं मानता कि नाजी जनसंहार होलोकॉस्ट हुआ था, और जिसने ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह दी थी.” भारत के विदेश सचिव ने कहा, "ये साफ तौर पर खुद अपनी समस्याओं से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ध्यान हटाने की कोशिश है.”

Grenzkonflikt China Indien
सीमा पर भारत चीन विवादतस्वीर: Anupam Nath/AP/picture alliance

डीडब्ल्यू न्यूज के साथ एक बातचीत में उनसे यह भी पूछा गया कि क्या चीन ने इस साल सीमा विवाद शुरू होने के बाद से भारत की 300 वर्ग किलोमीटर की अतिरिक्त जमीन पर कब्जा कर लिया है? अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि चीन द्वारा कब्जा की गई जमीन इससे ज्यादा है. भारतीय विदेश सचिव ने कहा, "दोनों देशों के संबंधों के बिगड़ने में यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीन असाधारण कदम ने योगदान दिया है." उन्होंने कहा, "हमें चिंता है कि चीन ने ये कदम उठाया है. हम एकदम साफ हैं कि हम अपनी क्षेत्रीय अक्षुण्णता और सार्वभौमिकता के साथ समझौता नहीं करने के अपने इरादे पर दृढ़ रहेंगे." भारतीय क्षेत्र पर चीन के कब्जे के सवाल पर विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा, "हमने ऐसा कुछ नहीं होने दिया है. हमारी सेना दृढ़ रही है.

अमेरिका में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव के बारे में पूछे जाने पर अमेरिका में भारत के राजदूत रहे हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री मोदी के रिश्ते खास रहे हैं... लेकिन आपको याद होना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रपति ओबामा के साथ भी बहुत खास संबंध थे." भारतीय विदेश सचिव ने इस पर जोर दिया कि चुनाव में कोई भी जीते, अमेरिका और भारत के रिश्ते नहीं बदलेंगे. भारत के साथ मजबूत संबंधों के लिए अमेरिकी संसद में दोनों पार्टियों का समर्थन है.

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