इंटरनेट पर मां का दूध
८ अगस्त २०१४तान्या मुलर ने जर्मनी में पहला मां के दूध का एक्सचेंज शुरू किया है. जनवरी से यह इंटरनेट पर है. कई लोगों ने इस योजना को सराहा है लेकिन कई इसे बहुत ही अजीब मानते हैं.
मां का दूध बेचना और खरीदना
अमेरिका में ऐेसा करना आम बात हो गई है. वहां यह पिछले दस साल से हो रहा है. यह इंटरनेट प्लेटफॉर्म ऐसी मांओं के लिए है जिनके शरीर में किसी कारण दूध नहीं बन पाता. तान्या मुलर जर्मनी में ऐसी मांओं को औरों से मिलाना चाहती हैं जिनके पास ज्यादा दूध है. "मैं अपनी वेबसाइट पर साफ आदेश देती हूं. आपको पांच बातें ध्यान में रखनी हैं और हर मां इन्हें पढ़ सकती है. पहले तो यह कि आप वेबसाइट पर देखें कि मेरे इलाके में कौन सी मां है जिसे दूध की जरूरत है या जो मुझे दूध दे सकती है."
मुलर की साइट पर विज्ञापन छपवाने के पांच यूरो यानी करीब 400 रुपये लगते हैं. तान्या मुलर इससे वेबाइट चलाने का खर्चा निकालती हैं. माएं खुद तय करती हैं कि वह अपना दूध कितने में बेचना या औरों से दूध कितने में खरीदना चाहती हैं. ये आदान प्रदान या तो महिलाएं खुद करती हैं या फिर एक्सप्रेस पोस्ट से भेजती हैं. पैकेट में सूखा बर्फ होता है ताकि दूध खराब न हो.
क्या यह स्वस्थ है
जर्मन आपदा विश्लेषण आयोग का कहना है कि मां का दूध इंटरनेट पर बेचना खतरे से खाली नहीं है. युवा और बच्चों के लिए इलाज पर काम कर रही जर्मन संस्था डीजीकेजी कहती है कि इस तरह से बिना किसी निगरानी के मां का दूध बेचना और खरीदना बच्चों के लिए खतरा हो सकता है.
जर्मनी में मां के दूध के लिए मिल्क बैंक भी हैं. पोट्सडाम में बैर्गमन क्लीनिक के प्रमुख मिषाएल राड्के कहते हैं, "हर महिला जो दूध डोनेट करना चाहती है, उसे हम टेस्ट करते हैं कि कहीं कोई बीमारी तो नहीं. हम देखते हैं कि क्या उसे वाइरल इंफेक्शन है, हिपाटाइटिस, पीलिया है या एचआईवी तो नहीं है."
कितना अच्छा है मां का दूध
कहा जाता है कि मां का दूध मोटापे से बचाता है. बच्चों को कम एलर्जी होती है और उनकी सेहत अच्छी रहती है. कई शोध हुए हैं जिनमें पाया गया कि मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा है. इसमें 300 पौष्टिक तत्व हैं. लाइपजिग में जर्मनी के सबसे बड़े मिल्क बैंक की प्रमुख कोरिना गेबाउअर कहती हैं, "जीवित प्रतिरोधी कोशिकाएं, आंतों के लिए प्रोटीन, पाचन के लिए एन्जाइम. ये कुछ चीजों को पचाने में मदद करती है."
लेकिन गेबाउअर भी बताती हैं कि दूध की क्वालिटी पर सवाल उठते हैं, खास तौर से उसमें कीटाणु को लेकर. लेकिन वेबसाइट चलाने वाली तान्या मुलर का कहना है कि माएं इस बारे में खुद जिम्मेदार होती हैं. "मैं नहीं सोच सकती कि जो मां यह दूध खरीदती है, वह इसका टेस्ट नहीं करवाती." मुलर एक प्रयोगशाला के साथ काम करती हैं और उनके अपने बच्चे को भी एक दूसरी महिला से दूध मिला. लेकिन राड्के कहते हैं कि ऐसे में दूध में मिलावट करना काफी आसान है और क्वालिटी को सुरक्षित करने के लिए और मिल्क बैंक बनाने होंगे.
रिपोर्टः गूड्रून हाइसे/एमजी
संपादनः आभा मोंढे