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इंटरनेट ढूंढेगा भूकंप में फंसे लोगों को

२७ अप्रैल २०१५

सर्च इंजन गूगल और सोशल नेट्वर्किंग वेबसाइट फेसबुक "सेफ्टी चेक" और "पर्सन फाइंडर" फीचर के जरिए नेपाल में लोगों को अपने बिछड़े प्रियजनों से मिलवाने की कोशिश कर रहे हैं.

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लोग छुट्टियां बिताने किस शहर में जा रहे हैं, वहां किस होटल में रह रहे हैं और कब किस रेस्त्रां में क्या खा रहे हैं, ये सारी जानकारी फेसबुक पर मिल जाती है. "चेक इन" बटन दबा कर लोग कुछ ही सेकंडों में ये सब इंटरनेट में शेयर कर लेते हैं. इसी तरह की एक सेवा अब फेसबुक ने नेपाल में फंसे लोगों का पता लगाने के लिए शुरू की है. "सेफ्टी चेक" नाम के इस फीचर में फेसबुक यूजर की लोकेशन को देख कर उससे पूछता है कि क्या आप सुरक्षित हैं. लोग हां या ना का बटन दबा कर अपना "सेफ्टी चेक" सबके साथ शेयर कर सकते हैं. सुरक्षित ना होने की सूचना देने पर फेसबुक यूजर से उसकी सही लोकेशन पूछता है ताकि उससे संपर्क साधा जा सके.

इसी तरह गूगल ने भी "पर्सन फाइंडर" फीचर शुरू किया है. गूगल का मुख्य सर्च पेज खोलते ही लिखा आता है, "नेपाल भूकंप संबंधित जानकारी". इस पर क्लिक करने पर गूगल यूजर को पर्सन फाइंडर के पेज पर ले जाता है जहां दो विकल्प दिए गए हैं: "मैं किसी को ढूंढ रहा हूं" और "मेरे पास किसी के बारे में जानकारी है". अंग्रेजी के अलावा यह सेवा नेपाली, हिन्दी और चीनी भाषा में भी उपलब्ध है. यदि आप किसी को ढूंढ रहे हैं और गूगल के पास उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है तो उस व्यक्ति का नाम लापता लोगों की सूची में शामिल हो जाएगा. जैसे ही कोई उस व्यक्ति के बारे में जानकारी देता है तो गूगल आपको इस बारे में सूचित करेगा. अपडेट सब्सक्राइब भी किए जा सकते हैं. साथ ही नाम और पते की जानकारी के साथ साथ तस्वीर भी अपलोड की जा सकती है. गूगल यह सेवा एसएमएस के माध्यम से भी दे रहा है. गूगल का दावा है कि वह अब तक करीब साढ़े पांच हजार लोगों का डाटाबेस तैयार कर चुका है.

Screenshot Google Person Finder Nepal
तस्वीर: https://google.org/personfinder/2015-nepal-earthquake/

गूगल ने 2010 में हैती में आए भूकंप के दौरान यह सेवा शुरू की थी. उस दौरान एक लाख से भी ज्यादा लोगों की जान गयी थी. इसके बाद 2011 में जापान में आए भूकंप और सूनामी के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया और 2013 में अमेरिका की बॉस्टन मैराथन में हुई बमबारी के बाद भी. भारत में भी गूगल दो बार इस सेवा को टेस्ट कर चुका है. एक बार पिछले साल जम्मू कश्मीर में आए भूकंप के दौरान और उससे पहले के साल उत्तराखंड में बाढ़ के दौरान भी.

इसी तरह से फेसबुक का फीचर भी दोस्तों और परिवार को यह बताने में मदद करता है कि आप सुरक्षित हैं या नहीं. फेसबुक के इंजीनियर जापान में आई सूनामी के बाद से इस पर काम कर रहे थे और पिछले साल अक्टूबर में इसे लॉन्च किया गया.

ईशा भाटिया (पीटीआई)