1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

आवारा कुत्तों की दर्दनाक मौत

२५ अक्टूबर २०११

पशुओं की देख रेख करने वाली संस्थाओं ने यूक्रेनी अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे आवारा कुत्तों को मारने के लिए गैर कानूनी और अमानवीय तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुत्तों को मारने का यह तरीका बहुत दर्दनाक है.

https://p.dw.com/p/12yAG
तस्वीर: Kai Koehler/Fotolia

एक रविवार सुबह नाइडा नाम की एक कुतिया ने सड़क पर पड़ा सॉसेज का एक टुकड़ा खा लिया. अगले दो घंटे वह गलियों में दर्द से बिलबिलाती, चिल्लाती घूमती रही. उसके मुंह से खून निकल रहा था. इसके बाद नाइडा की मौत हो गई.

यूक्रेन में आवारा पशुओं का ख्याल रखने वाली संस्थाओं ने आरोप लगाया है कि अधिकारी आवारा कुत्तों को मारने के लिए गैर कानूनी और पीड़ादायक तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं. आरोप हैं कि गली में फिरने वाले कुत्तों को अक्सर जहर दे दिया जाता है या फिर उन्हें प्रतिबंधित पदार्थों के इंजेक्शन दिए जाते हैं. अधिकारी 2012 में होने वाले यूरो कप की तैयारियों के तहत आवारा कुत्तों के खात्मे में लगे हुए हैं. लेकिन यूरो 2012 के आयोजकों ने इन आरोपों का खंडन किया है.

Schlafender Straßenhund
तस्वीर: Thye Aun Ngo/Fotolia

गंभीर आरोप

इस बारे में पूरे आंकड़े तो अभी सामने नहीं आए हैं लेकिन एपी समाचार एजेंसी को दिए गए यूरो 2012 आयोजकों के अनुमान के मुताबिक कीएव, डोनेत्स्क, खारकीव और ल्वीव में एक साल के अंदर करीब नौ हजार आवारा कुत्तों को मारा गया है. जानवरों की रक्षा करने वाली संस्थाओं का कहना है कि यह संख्या बहुत ज्यादा है.

यूक्रेन में एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन की प्रमुख एसिया सेरपिन्स्का कहती हैं, "यह बूचड़खाना है. हमें पूरा यकीन है कि यूरो 2012 के आयोजकों को शहरों में आवारा कुत्तों को खत्म करने के लिए गैर सरकारी आदेश दिए गए हैं. भगवान न करे कि कोई आवारा कुत्ता किसी विदेशी को काट ले."

आवारा कुत्तों का सरदर्द

यूक्रेन में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा है. कई कई शहरों में तो वे हजारों की संख्या में हैं. इन्हें शहरों, गलियों, बागीचों कहीं भी देखा जा सकता है. पिछले साल में कीएव में तीन हजार लोगों को कुत्तों ने काटा जबकि खारकीव में 1,900 को.

कागजों पर इन कुत्तों का वंध्याकरण किया जा रहा है और उन्हें ऐसे इलाकों में छोड़ा जा रहा है जहां ज्यादा लोगों को इनसे कोई डर नहीं है और उन्हें खास जगहों पर रखा जाता है.

Straßenhund in Sofia
तस्वीर: DW

लेकिन असलियत कुछ और है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि कुत्तों के जिंदा रहने की संभावनाएं बहुत कम हैं. सवाल है कि मरने से पहले कुत्तों को कितनी पीड़ा पहुंचाई जा सकती है. कुत्तों को रखने की जगह नहीं के बराबर हैं, जानवरों को कोई पालतू नहीं बनाता और उनका वंध्याकरण करना महंगा है. इसलिए अधिकतर कुत्तों को जहर दे कर मार दिया जाता है.

कई संस्थाएं खिलाफ

नेचरवॉच नाम का संगठन यूरो 2012 के खिलाफ अभियान चला रहा है कि उएफा यह आयोजन यूक्रेन से हटा दे और पूरी तरह से पोलैंड में करे. खारकीव में एक अन्य पशु नियंत्रण ग्रुप ने आरोप लगाया है कि कुत्तों को ऐसे बंद कर के रखा जाता है कि वो उस पिंजरे में हिल भी नहीं पाते. संस्था के फोटो में देखा जा सकता है कि जानवर लकड़ी के अंधेरे छोटे छोटे पिंजरों में कैद हैं.

वहीं एडॉप्ट पेट सेंटर ने भी बताया है कि पकड़े गए कुत्तों को खाना पानी भी नहीं दिया जाता. वहीं पशु नियंत्रण सेवा के इगोर फुर्दा का कहना है कि सभी चिंताएं बेवजह हैं. "अगर कुत्ते को मारना ही है तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि उसे किस पिंजरे में रखा जा रहा है."

Fragezeichen
यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख़ 25/10 और कोड 1476 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए hindi@dw-world.de पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: picture-alliance

दर्द भरी मौत

वहीं अन्य अधिकारी विक्टोरिया बोहातिर अकादमी की मुश्किलों को समझती हैं, लेकिन कुत्तों को मारे जाने और यूरो कप के बीच कोई संबंध नहीं बताती. "हमारा लक्ष्य है आवारा कुत्तों की संख्या में कमी करना. हम यूरो 2012 के पहले कुत्तों को नहीं मार सकते. यह असंभव है."

डोनेत्स्क के निवासियों ने बताया कि कुत्ते ले जाने वाले ट्रक कुछ गलियों में गए और वहां रास्ते पर कुछ फेंका. इसके कुछ घंटों बाद मरे हुए कुत्तों को ले जाने के लिए यह गाड़ी फिर से आई. एक अन्य टेस्ट में पता चला कि सड़क पर पड़े हुए सॉसेज में कुछ गोलियां थीं जो कि आइसोनिएजिड नाम की दवाई थी. इसे टीबी के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है और कुत्तों के लिए यह घातक होती हैं.

डोनेत्स्क और खारकीव में पशुओं की देख रेख करने वाली संस्थाओं का कहना है कि आवारा कुत्तों को लगातार मारा जा रहा है. उन्हें डिथिलिनम इंजेक्शन दिया जाता है जो उनके श्वास तंत्र को निष्क्रिय कर देता है और इसलिए वे जीवित तो रहते हैं लेकिन सांस नहीं ले पाते और एक घंटे के करीब दर्द से तड़पने के बाद उनकी मौत होती है.

एनिमल प्रोटेक्शन ग्रुप्स का कहना है कि इस तरह से आवारा कुत्तों को मारा जाना न केवल अमानवीय बल्कि अप्रभावशाली भी है. सफल पशु नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कुत्तों का वंध्याकरण किया जाना चाहिए और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए और लोगों को पालतू जानवर रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

वॉशिंगटन में ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल की केली कोलैडैर्सी कहती हैं, "ऐसा करके आप समस्या पर पट्टी कर रहे हैं उसका इलाज नहीं कर रहे."

रिपोर्टः एपी/आभा एम

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी