आवारा कुत्तों को पुलिस ट्रेनिंग
११ अगस्त २०१४नई दिल्ली में रहने वाले कई लोग इन आवारा कुत्तों को बिना किसी कागजी कार्रवाई के अपने घर में रख लेते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं. लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि स्थानीय प्रशासन ने इन कुत्तों को बाकायदा ट्रेनिंग देकर सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई है.
दिल्ली के अधिकारियों ने बताया कि वह पुलिस में जानवरों के प्रशिक्षकों से बातचीत करेंगे कि वो इन के साथ काम करें. आवारा कुत्तों को शहर के सुरक्षा बल मे आई हेल्प यू के साथ गार्ड के तौर पर रखा जाएगा. ये अभियान लोगों की मदद के लिए और सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से चलाया गया है. स्थानीय प्रशासन के अधिकारी जलज श्रीवास्तव के हवाले से एएफपी समाचार एजेंसी ने लिखा, "अगर ये कुत्ते नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) इलाके में घूमते हैं तो ये काम भी कर सकते हैं. हमारी योजना है कि हम इन आवारा कुत्तों को लें और उन्हें गार्ड डॉग्स के तौर पर ट्रेन करें."
सड़कों पर घूमने वाले कुछ कुत्ते तो फ्रेंडली होते हैं लेकिन कई आक्रामक भी हो जाते हैं. देश के कई शहरों से कुत्ते के काटने की खबरें आती रहती हैं. श्रीवास्तव ने बताया, "ये अभियान दो उद्देश्यों को ध्यान में रख कर बनाया है. एक सड़कों से आवारा कुत्ते हटा कर इस समस्या से छुटकारा पाना और शहर निवासियों के लिए सुरक्षित बनाना." इन जानवरों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन 2009 के सिटी सर्वे के मुताबिक दिल्ली में दो लाख साठ हजार से ज्यादा आवारा कुत्ते हैं. रिपोर्ट में ये सामने नहीं आया है कि कितने कुत्तों को सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी.
जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठनों ने इस योजना का स्वागत किया है. इसमें कुत्तों को टीके लगाए जाएंगे और उन्हें खाना भी दिया जाएगा. 2001 के कानून के मुताबिक सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों को मारा नहीं जा सकता. भारत के कई शहरों में कुत्तों के टीकाकरण और बंध्याकरण किया जाता है. लेकिन फिर भी हर साल भारत में रेबीज से 20,000 लोगों की मौत हो जाती है.
एएम/एजेए (एएफपी)