आम ही आम
आम के मौसम का भारत में साल भर इंतजार रहता है, इस बार भी अच्छी फसल का लोग मजा ले रहे हैं.
आम ले लो आम
उत्तर प्रदेश में अभी भी गली गली पारंपरिक ढंग से आम बेचने वाले मिल जाएंगे. लखनऊ में हर कोई इन दिनों गली गली आम की खरीदारी करता हुआ मिल जाएगा.
आओ मिलकर खाएं
मलिहाबाद के आसपास के इलाकों से भी लोग परिवारों के साथ आकर आम का मजा उठाते हैं. हर किसी के चेहरे पर मुस्कान का सबब भी बन जाता है जबरदस्त जायके वाला आम.
ढेरों निर्यात
मलिहाबाद की आम पट्टी में हर साल औसतन 25-30 लाख टन आम की पैदावार होती है. गर्मियों में रमजान आ गया तो खाड़ी देशों से ही दशहरी आम के करीब 250 टन निर्यात का ऑर्डर आ गया. इस बार जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस से सैकड़ों टन आम के ऑर्डर आए.
आम मंडी
लखनऊ आम मंडी में देश विदेश के खरीदारों की रौनक भी देखने लायक होती है. इस सीजन में यूपी मंडी परिषद ने खरीदारों की तीन बैठकें कराईं. इनमें निर्यातकों के अलावा महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों के खरीदार शामिल हुए.
ऊंची कीमत
इस साल मानसून के पहले की अच्छी बारिश ने आम को और रसीला बना दिया. उत्तराखंड और पूर्वी यूपी में बाढ़ से बर्बाद हो गई फसलों के कारण उनकी कीमतें 300 फीसदी तक बढ़ गईं.
आम को चोट ना लगे
पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ना हमेशा जोखिम भरा होता है लेकिन ये तरीका अभी भी मलिहाबाद में देखने को मिलता है क्योंकि इससे आम खराब नहीं होता.
आसान नहीं छंटाई
आम तोड़ने के बाद उसकी छंटाई भी एक मुश्किल काम है और इसमें बहुत समय और बहुत लोगों को लगना पड़ता है.
दिहाड़ी पर
मलिहाबाद के आम के बागानों में बच्चे आम चुनते हुए मिल जाते हैं क्योंकि ये कम दिहाड़ी के मजदूर होते हैं.
'आम के आम गुठलियों के दाम'
ये कहावत सभी ने सुनी होगी पर इसे सही साबित कर रहे हैं ये बांगलादेशी पति पत्नी, जो गुठलियों को बीन बीन कर सुखाते हैं और इसके अंदर से बीज निकाल कर बेचते हैं जिससे तैयार होता है नया आम का पौधा.
नर्सरी
आम की गुठलियों से फिर तैयार हो जाती है हरी भरी नर्सरी. नर्सरी से लोग अपने बागों के लिए आम के पौधे ले जाते हैं जिन्हें बो कर आम के बड़े बड़े पेड़ आते हैं...और फिर हर साल गर्मियों में आम ही आम.
आम के शौकीन
आम के शौकीन लोग मौका कहीं नहीं छोड़ते. जब जिसको जहां जगह मिलती है आम खाने लगता है, सड़क हो या घर.