आत्मघाती हमले में मृतकों की संख्या 102 हुई
१० जुलाई २०१०धमाके के अगले दिन शनिवार को मलबे के नीचे से कई महिलाओं और बच्चों के शव निकले. रात भर चले राहत और बचाव के अभियान में जुटे लोगों के हाथ मायूसी ही लगी. मोहमंद के एक अधिकारी रसूल खान ने बताया, ''दर्जनों दुकानों के मलबे से हमें कई शव मिले हैं. धमाके की वजह से यह सारी दुकानें ढह गई और लोग मलबे में दब गए. यही वजह है कि मृतकों की संख्या बढ़कर 102 हो गई है.''
धमाका आत्मघाती था. हमलावर ने खान के दफ्तर के बाहर खुद को उड़ा लिया. जांच में यह भी सामने आ रहा है कि आत्मघाती हमले के फौरन बाद एक कार बम हमला भी हुआ. हमले इतने भयानक थे कि कई सौ मीटर के दायरे में खड़ी सारी इमारतें जमीदोज हो गईं.
तालिबान ने धमाके की जिम्मेदारी ली है. दरअसल याकाघुंड में शुक्रवार को तालिबान विरोधी नेता और लोग जमा हुए थे. इलाके में शांति कायम करने के मकसद से काफी लोग अलग अलग इलाकों से याकाघुंड पहुंचे थे. सभी लोग रसूल खान के दफ्तर में थे. तभी इन्हें निशाना बनाने के लिए तालिबान ने आत्मघाती हमले किए.
हमले के बाद राहत और बचाव में जुटे कई लोगों मौके से भागना पड़ा. वहां काफी देर तक तालिबान और सुरक्षाकर्मियों के बीच फायरिंग होती रही. पाकिस्तान के इस काबायली इलाके को तालिबान का गढ़ माना जाता है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़