आजाद जिंदगी फिर भी असहाय
उन्होंने आईएस आतंकवादियों की अकथनीय यातना बर्दाश्त की. उनके मर्दों की हत्या की गई, बच्चों के साथ बलात्कार किया गया और बचपन में ही शादी करने के लिए मजबूर किया गया. इराक के यजीदियों को छह साल बाद भी न्याय नहीं मिला है.
बेरहम नरसंहार
2014 में आईएस ने सीरिया में कम से कम 10,000 यजीदियों को मार दिया. मरने वाले सारे पुरुष थे. आईएस के आतंकवादियों ने 12 साल से अधिक उम्र के सभी लड़कों को भी मार डाला. अब तक कम से कम 80 सामूहिक कब्रें मिली हैं.
अपहरण, उत्पीड़न और बलात्कार
एक ओर 12 वर्ष से अधिक आयु के सभी पुरुषों को मार दिया गया था, 7,000 से ज्यादा महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर उन पर अत्याचार किया गया, बलात्कार किया गया और उन्हें बेच दिया गया.
दर्दनाक यादें
कुर्दिश लड़ाकों ने आईएस के साथ हुए युद्ध में खोए 2,000 बच्चों को बचाया. उन्हें बाद में उनके संबंधित परिवारों को लौटा दिया गया. परिवार में लौटने के बाद भी, आईएस के कब्जे की दर्दनाक यादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है.
पुरुषों का मतलब आफत
आईएस को हराने के बाद कुर्द लड़ाकों ने 1,041 बच्चियों को बचाया. ये ऐसी बच्चियां थीं जिन्हें बलात्कार और प्रताड़ित करने के बाद शादी करने के लिए मजबूर किया गया था. भयानक दिनों की यादें अभी भी उनके दिमाग में ताजा हैं. वे अभी भी पुरुषों को देखकर डर जाती हैं.
जान बचाने के लिए बने फौजी
लड़कों की कहानी अलग है. आईएस ने उन्हें नहीं मारा क्योंकि वे 12 साल से कम उम्र के थे. बाद में उन्हें युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया. साहिर नाम के एक बच्चे ने एमनेस्टी को बताया कि जब उसने लड़ने से इनकार किया तो उन्हें प्लास्टिक के पाइप से पीटा जाता. भूख और यातना सहने में असमर्थ साहिर को आखिरकार लड़ने के लिए राजी होना पड़ा.
मदद की जरूरत
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आईएस के शिविरों से छुड़ाए गए बच्चों पर एक रिपोर्ट छापी है. "लिगेसी ऑफ टेरर: द प्लाइट ऑफ यजीदी चाइल्ड सर्वाइवर्स" नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि बचाए गए यजीदी बच्चों को सामान्य जीवन में बहाल करने के लिए विशेष सहायता की जरूरत है.
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