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आगे भी मंथन का इंतजार रहेगा

१३ सितम्बर २०१३

मंथन का इस बार का एपिसोड आपको पसंद आया, जान कर खुशी हुई. जर्मन संसदीय चुनावों और दिल्ली रेप कांड पर लिखी रिपोर्ट को पढ़ कर पाठकों ने अपनी प्रतिक्रियाए भी भेजी है. जानिए आप भी..

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Sendungslogo TV-Magazin "Manthan" (Hindi)
तस्वीर: DW

मंथन है सबके लिए खास, क्योंकि इसमें होती है विज्ञान,तकनीक और पर्यावरण की बात!

देखते ही देखते कब मंथन को एक साल हो गया इसका पता ही नहीं चला, हर बार विज्ञान, तकनीक और पर्यावरण की नई से नई जानकारी हमेशा मंथन को खास और लोकप्रिय बनाती रही. एक चीज जो मंथन में जान फूंक देती है, वह है आपका प्रस्तुतिकरण. इस बार का मंथन भी बेहद खास था क्योंकि इसमें जर्मनी से जुड़ी भी कई जानकारियां थीं. परदे के पीछे के चेहरों से मिलकर तो बहुत खुशी हुई. इस बार फोटो गैलरी में भी परदे के पीछे की बहुत सारी गतिविधियां थीं, जिन्हें करीब से जानने का मौका मिला. किस तरह पूरी टीम दिन रात मेहनत करके हमें मंथन के जरिए रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियां देती है, यह सच में सराहनीय है. मंथन के एक साल और इसके सफल प्रसारण के लिए पूरी टीम और समस्त डीडब्ल्यू परिवार बधाई के पात्र हैं. आगे भी मंथन का बेसब्री से इंतजार रहेगा, इसी आशा के साथ आपको ढेरों बधाइयां और हार्दिक शुभकामनाऐं.

आबिद अली मंसूरी, देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, पैगानगरी-मीरगंज, बरेली, उत्तर प्रदेश

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सितंबर 22 को होने वाले जर्मन संसदीय के चुनाव के बारे में सारी जानकारी "जर्मन चुनाव 2013" शीर्षक वेबपेज मे दिए गये हर प्रतिवेदन से प्राप्त हो रही है. जर्मन चुनाव व्यवस्था एवं जर्मन चुनाव का जटिल तरीके के बारे में विस्तारित जानकारी देने के लिए डॉयचे वेले का आभारी हूं. बहुत अच्छा लगा "कैसे होते हैं जर्मन वोटर" शीर्षक, अडियो-वीडियो पेशकश और 'कौन बनेगा चांसलर' शीर्षक तथ्य के साथ जानकारी. चुनाव में अंगेला मैर्केल या विपक्षी एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार पेयर श्टाइनब्रुक, जो भी विजयी होकर चांसलर बनेगा वह जर्मनी की राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय मुद्दों के लिए सफलतापूर्वक काम करेंगे, इसमें कोई शक नहीं है. दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले साप्ताहिक शो 'मंथन' के बारे में जितना भी कहा जाए वह बहुत कम होगा.

Schriften, Logos und Broschüren von deutschen politischen Parteien liegen am 09.01.2013 in Berlin zusammen mit dem SPD-Satz "Ich will regieren." auf einem Tisch. Foto: Jens Kalaene/dpa
तस्वीर: picture-alliance/ZB

सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

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डीडब्ल्यू हिन्दी की रिपोर्ट 'क्या तंग हैं अदालत के हाथ? ' काफी विचारणीय है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय अदालतों में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है जिसके चलते सही समय पर सही न्याय नहीं हो पाता है. छोटी से बड़ी अदालतों में किस तरह पैसा बोलता है, उसे सभी जानते हैं. भारतीय अदालतों पर राजनीतिक दबाव भी इतना ज्यादा रहता है कि न्यायाधीश चाह कर भी सही फैसला नहीं कर पाते हैं. भारत में न्यायिक सुधार की परम आवश्यकता है, लेकिन भ्रष्ट लोग इसे होने ही नहीं देंगे. भारत में लोगों को न्याय नहीं मिलता और मिलता भी है तो काफी देरी से. न्याय में देरी के लिए न्यायाधीश भ्रष्टाचार जिम्मेदार है. न्यायाधीशों को भ्रष्टाचार के लिए सजा क्यों नहीं मिलती है? अगर भ्रष्टाचार के लिए न्यायाधीशों को भी सजा मिले तो भारतीय न्यायपालिका में पारदर्शिता आ जाएगी.

अमल कुमार विश्वास, बरसौनी, पूर्णिया, बिहार

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Frauen in einer von der indischen Schauspielerin Shabana Azmi geförderten NGO in Mijwan besticken Kleider und Textilien. . Datum. 15. September 2012 Ort. Mijwan, Indien Copyright: DW/Suhail Waheed
तस्वीर: DW/Suhail Waheed

आपने हमारे शहर से जुड़े मशहूर शायर कैफी आजमी की पुत्री सिने अभिनेत्री शबाना आजमी से बातचीत पेश की, इसके लिए आपका धन्यवाद. शबाना आजमी का फिल्मों में पारिवारिक और सामाजिक आधार का रोल देखने लायक होता है और आपने इनके बारे में सामाजिक कार्यों से जुड़ने का जिक्र किया, तो मैं बताना चाहूंगा कि शबानाजी ने अपने पैतृक गांव मेजवा में छात्राओं के लिए कंप्यूटर स्कूल, सिलाई केंद्र चलाए हुए हैं जिससे महिलाओं और छात्राओं को स्वावलंबी बनाया जा सके. इनके प्रोत्साहन से किसानों ने भी लाल मिर्च की खेती शुरू की, जो आज पूरे क्षेत्र फूलपुर में होने लगी है. किसानों की अच्छी कमाई हो रही है इसी लिए इसे यहां लाल सोना कहा जाता है.

मनोज कुमार यादव,मुबारकपुर, आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश

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मंथन के इस ताजा एपिसोड में लेजर तकनीक के बारे में बहुत रोचक और बहुत उम्दा जानकारी दी गई. जर्मनी में इस तकनीक पर बहुत बेहतरीन काम हो रहा है कि जिसका इस्तेमाल पुरानी इमारतों और खंडहरों की सफाई से लेकर विमानों की तैयारी में भी बहुत अहम साबित हो रहा है. लेकिन मेरे लिए इस रिपोर्ट का सबसे रोचक पहलू यह रहा कि यह लेजर तकनीक पुरानी इमारतों की सफाई तो बहुत ही बेहतरीन अंदाज से कर ही लेती हैं, साथ में ऊंची इमारतों की सफाई भी बहुत ही सटीक अंदाज से की जा सकती है. हमारे जैसे देशों के हिसाब से तो ये तकनीक निश्चित बहुत महंगी जरूर है, लेकिन अगर हकीकत में देखा जाए तो अपने इतिहास और संस्कृति से लगाव रखने वाले और उसकी यादगार को अपने असल रंग में देखना पसंद करने वाले देशों के लिए ये लेजर तकनीक बहुत काम की और शायद सस्ती है. इस बहुत जबरदस्त रिपोर्ट के लिए बहुत शुक्रिया डीडब्ल्यू.
वाटर स्लाइड्स के बारे में रिपोर्ट ने बहुत मज़ा दिया. इस खेल के बारे में मेरी जानकारी बहुत कम थी, लेकिन रिपोर्ट के बाद इस रोमांचक खेल में मेरी रूचि भी बढ़ी है, हालांकि वाटर स्लाइड्स बनाना इतना आसान भी नहीं. इस रिपोर्ट में अगर आप वाटर स्लाइड्स के इतिहास के बारे में भी थोड़ा बता देते तो और भी मजा आ जाता. बहरहाल इस बहुत रोचक और रोमांचक रिपोर्ट के लिए आपका बहुत शुक्रिया कि जिसकी वजह से हमें इस रोमांचक खेल को करीब से देखने और जानने का मौका मिला.
आजम अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, खैरपुर मीरस सिंध, पाकिस्तान

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे