आईसीसी और डोपिंग पर सख़्त हुआ वाडा
२६ मई २०१०नई दिल्ली आए अंतरराष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी के निदेशक डेविड हाउमैन ने कहा, ''आईसीसी अपने सदस्य बोर्डों के लिए जिम्मेदार है. यह आईसीसी की जिम्मेदारी है कि वह यह पक्का करे कि सदस्य बोर्ड वाडा के कोड को मानें. हम अगली समीक्षा नवंबर 2011 में करेंगे. आईसीसी अगर तब भी अपने सदस्य बोर्डों को मनाने में नाकाम रही तो ओलंपिक समिति से कह देंगे कि वह नहीं माने.''
वाडा निदेशक के बयान से साफ है कि क्रिकेट को ओलंपिक खेलों में शामिल किए जाने आईसीसी की कोशिश अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है. हाउमैन के मुताबिक आईसीसी के पास काफी समय है. उन्होंने कहा कि वाडा अधिकारी इस मुद्दे पर आईसीसी का सहयोग कर रहे हैं.
उनके मुताबिक वाडा का सहयोग आईसीसी को एक हद तक ही मिल पाएगा. हाउमैन ने कहा, ''शर्त को न मानने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करने का विशेष अधिकार हमारे पास नहीं है. यह सब अधिकार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और ओलंपिक काउंसिल के पास हैं.''
वाडा का कहना है कि इस वक्त दुनिया भर के 13,000 एथलीट 'कहां हो' शर्त को मानते हैं ऐसे में क्रिकेटरों को क्या दिक्कत हैं. हाउमैन ने भरोसा दिलाया है कि इस विवादास्पद शर्त से निजी जिंदगी में कोई दखल नहीं पड़ेगा. उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ियों को बातचीत का न्योता भी दिया है.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले वाडा के सदस्य है. वाडा निदेशक का कहना है कि बीसीसीआई चाहे तो कुंबले की मदद से भारतीय क्रिकेटरों के लिए एक बढ़िया एंटी डोपिंग प्रोग्राम बना सकती है.
आईसीसी ने पिछले जनवरी में वाडा के एंटी डोपिंग करार पर दस्तखत किए थे. लेकिन तब भारतीय क्रिकेटरों के विरोध के चलते 'कहां हो' वाली शर्त नहीं मानी गई. 'कहां हो' शर्त के तहत खिलाड़ियों का एक साझा ग्रुप बनाया जाएगा. ग्रुप के खिलाड़ियों को तीन महीने बाद का अपना कार्यक्रम एडवांस में वाडा अधिकारियों को बताना होगा.
भारतीय क्रिकेटरों के बाद कई अन्य देशों के खिलाड़ियों को भी इस शर्त पर आपत्ति है. खिलाड़ियों का कहना है कि यह उनकी निजी जिंदगी में दखल देने जैसा है. खिलाड़ियों का यह भी तर्क है कि कई बार उन्हें तीन महीने बाद क्या होना, इसका पता नहीं होता है या फिर कार्यक्रम में बदलाव भी आते हैं, ऐसे में 'कहां हो' शर्त को कैसे मान लिया जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़