आईएस से लोहा लेतीं ईरान की कुर्द हसीनाएं
ईरान की लगभग दो सौ कुर्द महिलाएं उत्तरी इराक में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ रही हैं. ये महिला फाइटर कुर्दों की फोर्स पेशमर्गा में शामिल हैं और इन्हें अमेरिकी सेना का समर्थन हासिल है.
पहले गीत, फिर मशीन गन
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि जब भी आईएस के चरमपंथियों की तरफ से ईरान की इन कुर्द महिलाओं पर मोर्टार गोले दागे जाते हैं तो सबसे पहले ये उनका जबाव लाउडस्पीकर पर गीत गाकर देती हैं. इसके बाद मशीनगनों की तरफ हाथ बढ़ाती हैं और निशाने पर होता है इस्लामिक स्टेट.
"हमें खौफ नहीं"
21 साल की मानी नसरुल्ला का कहा है कि वो गीत इस वजह से गाती हैं ताकि आईएस के चरमपथियों को और गुस्सा आए. वो कहती हैं, “इसके अलावा हम इन्हें बताना चाहती हैं कि हमें उनका खौफ और डर नहीं हैं.” लगभग दो सौ कुर्द औरतें ईरान छोड़ कर इराक में जंग लड़ रही हैं.
छह सौ की यूनिट में
ये महिलाएं जिस यूनिट का हिस्सा हैं, उसमें छह सौ लोग शामिल हैं. यह यूनिट कुर्दिस्तान फ्रीडम पार्टी के साथ मिल कर लड़ रही है. कुर्द इसे पीओके के नाम से पुकारते हैं.
अलग देश की जंग
ये यूनिट अब इराक और अमेरिकी सेना के साथ मिल कर काम कर रही है. कुर्द लोग अपने लिए एक अलग देश के लिए भी लड़ रहे हैं.
विरोध
कुर्द लोग ईरान, सीरिया, इराक और तुर्की के कुछ हिस्सों को मिलाकर अपना अलग देश चाहते हैं. लेकिन इसका काफी विरोध होता है. तुर्की तो कुर्द बागियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहा है.
"लड़ते रहेंगे"
एक महिला कुर्द सैनिक का कहना है कि वो अपनी सरमजीन की हिफाजत के लिए लड़ रही है. अब वो सरजमीन चाहे ईरान के कब्जे में हो या इराक के. इनके सामने चाहे इस्लामिक स्टेट हो या कोई और दूसरी ताकत, वो अपनी अपनी सरजमीन की आजादी के लिए लड़ती रहेंगी.
आईएस की कोई परवाह नहीं
इस समय ये महिलाएं पुरुष कुर्दों के साथ उत्तरी इराक में स्थित फजलिया नाम के एक देहाती इलाके में लड़ रही हैं. एक 32 वर्षीय महिला फाइटर का कहना है, “ये सच है कि इस्लामिक स्टेट खतरनाक है, लेकिन हमें उसकी परवाह नहीं है.”
"मैं भी दूंगी जबाव"
वहीं एक अन्य फाइटर का कहना है कि उसने पेशमर्गा में शामिल होने का फैसला उस वक्त किया था जब हर तरफ से ये खबरें आ रही थीं कि इस्लामिक स्टेट के चरमपंथी महिलाओं के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं. “मैंने फैसला किया कि मैं भी उनको जवाब दूंगी.”
विवाद
हालांकि उत्तरी इराक में इन महिलाओं की मौजूदगी को लेकर विवाद भी हो रहा है. ईरान ने कुर्दिस्तान की क्षेत्रीय सरकार पर इन महिलाओं को बेदखल करने का दबाव बढ़ दिया है. 2016 में कुर्द लड़ाकों की ईरानी सेना के साथ कम से कम छह बार झड़पें हो चुकी हैं.
गर्व
इन महिलाओं के पुरुष कमांडर हाजिर बाहमानी कहते हैं कि इनके साथ पुरुषों जैसा ही बराबर सलूक किया जाता है और उन्हें इन महिलाओं पर गर्व है. इन्हें छह हफ्ते की स्नाइपर ट्रेनिंग भी दी गई है.