आईएस के हथियारों को भारतीय कंपनियों की मदद
२६ फ़रवरी २०१६यह अध्ययन दुनिया भर के तनावग्रस्त इलाकों में हथियारों की आपूर्ति का अध्ययन करने वाली संस्था कंफ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च यानि सीएआर ने किया है. संस्था की वेबसाइट में 'ट्रेसिंग दि सप्लाई आॅफ कंपोनेंट्स यूज्ड इन इस्लामिक स्टेट' नाम से प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट को हथियारों से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति करने में भारत के अलावा तुर्की, ब्राजील और अमरीका के साथ ही 20 देशों की तकरीबन 51 कंपनियां शामिल हैं. बीस महिनों तक किए गए इस शोध के मुताबिक इन कंपननियों के ऐसे उत्पाद इस्लामिक स्टेट के पास पहुंच रहे हैं जिनका इस्तेमाल वह इंप्रोवाइस्ड एक्स्प्लोसिव डिवाइसेज यानि आईईडी बनाने के लिए करता है.
वेबसाइट पर छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक इन भारतीय कंपनियों में गल्फऑइल कॉर्पोनेशंस, सोलर इंडस्ट्रीज, प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स, राजस्थान एक्सप्लोसिव्स, चामुंडी एक्सप्लोसिव्स, इकॉनोमिक एक्स्प्लोसिव्स और आइडियल इंडस्ट्रियल एक्सप्लोसिव्स शामिल हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है हथियारों के अलावा भारत की एक और कंपनी नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क की ओर से आईएस को मोबाइल फोनों की सप्लाई भी हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ''सीएआर के जमीनी जांच दल के दस्तावेजों के मुताबिक डेटोनेटर्स, डेटोनेटिंग कार्ड और सेफ्टी फ्यूज बनाने वाली भारत की 7 कंपनियां इसमें शामिल हैं. भारतीय कानून के मुताबिक इस किस्म की सामग्री के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. सीएआर की ओर से दर्ज की गई सारी सामग्री कानूनी तौर पर भारत सरकार की ओर से जारी किए गए लाइसेंस से ही लेबनान और तुर्की की संस्थाओं को निर्यात की गई थी.''
बीते कुछ सालों से इस्लामिक स्टेट का ईराक और सीरिया के बड़े हिस्से में कब्जा है. इन दोनों ही देशों से तुर्की की सीमा लगती है. तुर्की का कहना है कि उसने चरमपंथी सुन्नी इस्लामिक संगठन आईएस को हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए मजबूत कदम उठाए हैं. लेकिन सीएआर की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक स्टेट को हथियारों से जुड़ा सामान पहुंचाने वाली कंपनियों में सबसे अधिक 13 कंपनियां तुर्की की हैं और इसके बाद दूसरा नंबर भारत का है जिसकी 7 कंपनियों से इस्लामिक स्टेट को हथियार बनाने का सामान पहुंच रहा है.
सीएआर के कार्यकारी निदेशक जेम्स बेवन का कहना है, ''इन निष्कर्षों से इराक और सीरिया में आईएस की सेनाओं के बारे जागरूकता बढ़ने में मदद मिलेगी कि वे स्थानीय स्तर पर और बाहर से भी हथियार और रणनितिक सामग्री को जुटाने में काफी हद तक आत्मनिर्भर हैं.''
कंफ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च को 2011 में दुनिया भर के तनावग्रस्त इलाकों में हथियारों की आपूर्ति के अध्ययन के लिए बनाया गया था.
आरजे/आईबी (रॉयटर्स)