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आईएस के खिलाफ फ्रांस को जर्मनी की मदद

२६ नवम्बर २०१५

पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद फ्रांस ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को खत्म करने का फैसला किया है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटा रहे हैं. जर्मनी के समर्थन पर वे भरोसा कर सकते हैं.

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Frankreich Angela Merkel & Francois Hollande in Paris
तस्वीर: Reuters/P. Wojazer

पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद के साथ मुलाकात कर लौटने के बाद जर्मन चांसलर ने टोही लड़ाकू विमान टोरनैडो सीरिया भेजने का फैसला लिया है. यह फैसला गुरुवार को जर्मन चांसलर और रक्षा मंत्री फॉन डेय लाएन की भेंट में लिया गया. अंतिम फैसला जर्मनी की संसद बुंडेसटाग में लिया जाएगा लेकिन उससे पहले चांसलर की सरकार में शामिल पार्टियों सीडीयू सीएसयू और एसपीडी के संसदीय दलों के नेता इस पर चर्चा करेंगे.

अमेरिका के दौरे से लौटने और राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से बात के लिए मॉस्को जाने से पहले चांसलर अंगेला मैर्केल ने ओलांद से मुलाकात की और उन्हें जर्मनी के व्यापक समर्थन का भरोसा दिलाया. मैर्केल ने पेरिस में कहा, "यदि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इसके बारे में सोचने का अनुरोध करते हैं कि हम और क्या कर सकते हैं, तो यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसके बारे में सोचें." उन्होंने कहा कि जर्मनी जल्द ही फैसला लेगा. मैर्केल में विस्तार में गए बिना कहा, "इस्लामिक स्टेट का मुकाबला सैनिक साधनों से किया जाना चाहिए."

मैर्केल ने कहा कि आतंकवाद साझा दुश्मन है, जिसका मुकाबला पूरी ताकत के साथ किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आईएस को बातचीत के जरिए नहीं समझाया जा सकता, उसका सैनिक साधनों से मुकाबला करना होगा. जर्मनी के उप चांसलर और एसपीडी नेता जिगमार गाब्रिएल ने भी फ्रांस की मदद पर जोर करते हुए कहा है कि जर्मनी फ्रांस का कर्जदार है. पूरब पश्चिम विवाद में फ्रांस ने जर्मनी की सीमाओं की रक्षा की है. गाब्रिएल ने जर्मनी में कुछ सलाफी मस्जिदों को बंद करने का पक्ष लेते हुए इस्लामी कट्टरपंथ की जड़ बताया.

आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मोर्चा बनाने का ओलांद का प्रयास जारी है. गुरुवार को वे मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मिल रहे हैं. रूस पिछले कुछ हफ्तों से सीरिया में आतंकवादियों पर हमला कर रहा है. रूस का दावा है कि वह इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ हवाई कार्रवाई कर रहा है जबकि पश्चिमी देशों का आरोप है कि रूस राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोधियों को निशाना बना रहा है जिनमें पश्चिम समर्थित नरमपंथी विपक्ष भी शामिल है. ओलांद के आने से पहले रूस के उपविदेश मंत्री सेर्गेई रियाबकोव ने आतंकवाद विरोधी गठबंधन में दिलचस्पी दिखाई है. मंगलवार को ओलांद ने वॉशिंग्टन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ आईएस की समस्या पर चर्चा की थी.

आतंकवाद विरोधी संघर्ष में फ्रांस की सेना को राहत देने के लिए जर्मनी करीब 650 सैनिकों को माली में तैनात करेगा. रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन के अनुसार इसके अलावा उत्तरी इराक में कुर्द पेशमैर्गा लड़ाकों को ट्रेनिंग दे रहे जर्मन सैनिकों की संख्या 100 से बढ़कर 150 कर दी जाएगी. ओलांद ने जर्मनी की इन योजनाओं का स्वागत किया है. ओलांद ने कहा कि यदि जर्मनी इससे आगे जा सकता है तो अच्छा रहेगा. बर्लिन में इस समय सीरिया और इराक में टोरनैडो टोही विमानों को तैनात किए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. ये अफगानिस्तान के बाद जर्मनी का पहला युद्धक अभियान होगा और जर्मनी की मौजूदा नीति से अलग होगा.

ओलांद का मॉस्को दौरा तुर्की द्वारा रूसी विमान को मार गिराए जाने के विवाद के बीच हो रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव से तुर्की के साथ विवाद में नर्मी की अपील की है. उन्होंने कहा कि इस घटना की वजह से रूस और तुर्की के बीच तथा सीरिया में तनाव नहीं बढ़ना चाहिए. रूस सीरिया विवाद में राष्ट्रपति असद का समर्थन कर रहा है. अमेरिका इसकी वजह से रूस के साथ सैनिक सहयोग से इंकार कर रहा है.

एमजे/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)