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अल कायदा की भारत पर हमले की योजना

६ नवम्बर २०१४

भारत-पाक सीमा पर पाकिस्तान में हुए आत्मघाती हमले और भारत पर हमले करने की पाकिस्तान तालिबान की धमकियों के बाद भारतीय अधिकारियों को डर सता रहा है कि अल कायदा बड़े हमलों के लिए भारतीय चरमपंथियों को ट्रेनिंग दे रहा है.

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Taliban
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

इंडियन मुजाहिदीन और अल कायदा के बीच संदेशों की डिकोडिंग और संदिग्ध लोगों से पूछताछ के बाद भारत की खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. उनका कहना है कि ये गुट इलाके में बड़े हमलों को अंजाम देने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं. पाकिस्तानी तालिबान की धमकियों और कोलकाता में आतंकी हमलों की चेतावनी के बाद अधिकारियों ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से कहा कि उन्हें पता चले प्लॉटों में विदेशियों के अपहरण और भारत को "सीरिया और इराक में बदल देने" की बात है, जहां लगातार हिंसा हो रही है.

कट्टरपंथी इस्लामी गुटों के बीच रिश्तों का अलग अलग आयाम है और उनके बारे में ठोस सबूत देना मुश्किल है लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि उनके द्वारा जुटाए गए सबूत अल कायदा और घरेलू संगठन इंडियन मुजाहिदिन के बीच बढ़ते संबंधों की ओर इशारा करते हैं. अब तक आईएम को प्रेशर कूकर बम जैसे हथियारों द्वारा छोटे हमलों के लिए जाना जाता है.

हमले का लक्ष्य भारत

कुछ हफ्ते पहले अल कायदा ने दक्षिण एशिया में हमलों के लिए एक धड़ा बनाने की घोषणा की थी. अब सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि उन्हें पता चला है कि आईएम के सदस्य अल कायदा और पाकिस्तान के दूसरे बड़े कट्टरपंथी गुटों के साथ अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ट्रेनिंग कर रहे हैं. इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में खतरनाक चरमपंथ का खतरा बढ़ गया है, जो अब तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में तबाही लाता रहा है.

सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान में वाघा सीमा पर हुए हमले और पूर्वी भारत के दो बंदरगाहों पर आतंकी चेतावनी का हवाला दिया है जिसकी वजह से भारतीय नौसेना को अपने दो युद्धपोतों को हटाना पड़ा था. पाकिस्तानी तालिबान के एक धड़े ने वाघा हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि अगले हमले का लक्ष्य भारत होगा. इस गुट के प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा था, "नरेंद्र मोदी को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि हम उनके देश पर हमला नहीं कर सकते."

इस्लामिक स्टेट का डर

भारत के नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी एनआईए के प्रमुख शरद कुमार ने कहा है कि भारतीय एजेंसियां इस बात का पता कर रही हैं कि अफगानिस्तान से पश्चिमी सेनाओं की वापसी के बीच अल कायदा और आईसिस स्थानीय गुटों के साथ किस तरह सहयोग कर रहा है. इस्लामिक स्टेट के नाम से विख्यात आईसिस ने इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन दक्षिण एशिया में अब तक उसका बहुत प्रभाव नहीं है.

अल कायदा का मुखिया आयमान अल जवाहिरी पाकिस्तान अफगान सीमा पर छुपा है और उसके लड़ाके अफगानिस्तान में नाटो की सेनाओं के खिलाफ लड़ रहे हैं. भारत में हमलों में शामिल 11 लोगों के खिलाफ दायर चार्जशीट में भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि आईएम के कुछ सदस्य अफगानिस्तान में अल कायदा के लिए लड़ रहे हैं. चिंता इस बात की है कि नाटो सेनाओं की वापसी के बाद वहां की लड़ाई के अनुभवी लड़ाके अपना ध्यान भारत की ओर कर सकते हैं. इसके अलावा भारत और नेपाल में यहूदियों का अपहरण करने की आशंका है जिनका इस्तेमाल अमेरिका में कैद पाकिस्तानी वैज्ञानिक आफिया सिद्दिकी की रिहाई के लिए किया जा सकता है.

आईएसआई ने की मदद

अमेरिका की मदद से डिकोड किए गए इंटरनेट चैट से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आईएम और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच तनाव का पता चला है. भारत का कहना है कि आईएसआई ने उसकी पैसे और उपकरणों से मदद की है. एक बातचीत में आईएम का संस्थापक रियाज भटकल अपने साथियों से यह कहता हुआ पाया गया है कि अब अल कायदा से सीधे संबंध बनाने की जरूरत है. इस बातचीत में उसने पाकिस्तानी एजेंटों को "कुत्ते" की संज्ञा दी है.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भी पाकिस्तान पर भारत और अफगानिस्तान की सेना के खिलाफ चरमपंथियों के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था. पाकिस्तान ने हमेशा चरमपंथियों से संबंध होने की बात से इंकार किया है. इस्लामाबाद में एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा, "यह पुरानी कहानी है. पाकिस्तान के लिए इस तरह के गुटों को समर्थन देने का कोई फायदा नहीं है."

एमजे/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)