अर्जेंटीना यानि छिपा रुस्तम
१२ जुलाई २०१४दरअसल अर्जेंटीना के कुछ शानदार खिलाड़ी अचानक से उभरे हैं. आंखेल डी मारिया को फुटबॉल की दुनिया पहचानती है, जो मेसी के साथ ही रियाल मैड्रिड की टीम में खेलते हैं और हाल के दिनों में बड़े स्टार बन कर उभर रहे हैं. लेकिन उसकी सबसे बड़ी ताकत रक्षापंक्ति और कोच की है. खावियर मेसकरानो और माक्सी रोड्रिगेज जैसे बड़े खिलाड़ी कहीं छिप जाते हैं लेकिन वक्त पड़ने पर वह बिलकुल टीम के काम आ जाते हैं.
इन सबसे से अलग गोलकीपर सर्जियो रोमेरो अचानक सितारा बन कर उभरे हैं. नीदरलैंड्स के कोच लुई फान खाल का दावा है कि जब कभी सर्जियो रोमेरो नीदरलैंड्स की एजेड अल्कमार की टीम में खेलते थे, तो उन्होंने ही पेनाल्टी बचाने का तरीका सिखाया था. बहरहाल, रोमेरो ने नीदरलैंड्स के खिलाफ जब दो पेनाल्टी रोक कर टीम को जीत दिला दी, तो लोगों का ध्यान इस बार के वर्ल्ड कप रिकॉर्ड पर गया. पता चला कि दरअसल वह सबसे कम गोल खाने वाले गोलकीपर हैं. अगर पेनाल्टी को हटा दिया जाए, तो उनके खिलाफ इस वर्ल्ड कप में सिर्फ दो गोल हुए हैं और वे भी नॉकआउट दौर शुरू होने से पहले. भले ही उनके सामने जर्मनी के मानुएल नॉयर हों लेकिन रोमेरो को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए.
मेसी के बारे में कुछ लिखने पढ़ने से बेहतर यह जानना है कि उन्हें रोकने के लिए जर्मनी क्या कदम उठा सकता है. हो सकता है कि नीदरलैंड्स की ही तरह वह भी अपने किसी खिलाड़ी को यह फुल टाइम जॉब दे दे. लेकिन इसकी वजह से उसे एक खिलाड़ी का नुकसान उठाना होगा क्योंकि मेसी को भी यह पता है कि उन्हें बुरी तरह मार्क करके रखा जाएगा. ऐसे में वह और उनकी टीम भी इसका काट खोजने में लगी होगी और ऐसे में शायद डी मारिया और इगुआइन जैसे स्ट्राइकरों का काम बढ़ जाए.
उधर, ग्राउंड के कोने पर बैठे कोच साबेया की मूक रणनीति काफी काम आ रही है. स्कोलारी, क्लिंसमन, फान खाल या लोएव की तरह उनकी ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है और इसका टीम को फायदा भी पहुंच सकता है. लोएव की तरह उन्होंने भी असिस्टेंट कोच के तौर पर काम शुरू किया और फिर अर्जेंटीना की कमान संभाली. लेकिन वे आम तौर पर मीडिया से दूर रहते हैं. उनकी रणनीति के बारे में किसी को ज्यादा पता नहीं और इसका अर्जेंटीना को फायदा भी पहुंच सकता है. वह खुद कहते हैं कि कागज पर जर्मनी की टीम बेहतर है और यह एक मनोवैज्ञानिक चाल भी हो सकती है.
फुटबॉल जितना ग्राउंड के अंदर खेला जाता है, उससे कहीं ज्यादा रणनीति, प्लानिंग और मनोवैज्ञानिक स्तर पर लड़ाई चलती है. शायद इसीलिए कहा जाता है कि "वर्ल्ड कप में कभी भी सर्वश्रेष्ठ टीम नहीं जीतती" और जर्मनी इस बार की सर्वश्रेष्ठ टीम दिख रही है. चकाचौंध से दूर रहते हुए अर्जेंटीना अगर फिनिश लाइन को पार कर जाए, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
रिपोर्ट: अनवर जे अशरफ
संपादन: महेश झा