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जर्मन अमेरिकी रिश्तों में दरार

१० जुलाई २०१४

जर्मनी में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के लिए काम करने वाले डबल एजेंट का पता चलने के बाद जर्मन सांसद वॉशिंगटन में जवाब ढूंढ रहे थे, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों के मुंह से कोई ठोस बात नहीं निकली है.

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अमेरिका को जर्मनी में क्यों है दिलचस्पी
तस्वीर: imago

पिछले एक हफ्ते से एक के बाद एक जर्मनी में अमेरिकी खुफिया कार्रवाई की जानकारी मिल रही है. बुधवार को पता चला कि रक्षा मंत्रालय में कार्यरत एक सैनिक ने अमेरिका को संवेदनशील जानकारी दी. एक हफ्ते पहले यह खुलासा हुआ था कि जर्मन खुफिया एजेंसी बीएनडी के एक कर्मचारी ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को जानकारी बेची. यह आरोप जर्मनी और अमेरिका के आपसी रिश्तों पर असर डाल रहे हैं.

जर्मनी के नेता जासूसी के नए मामलों को लेकर काफी हैरान हैं. वित्त मंत्री वोल्फगांग शॉएब्ले ने कहा, "यह कितनी बेवकूफी है और इतनी बेवकूफी आपको रुला देती है." जर्मन संसद के विदेशनैतिक आयोग के प्रमुख नॉर्बर्ट रोएटगेन और उनके चार सहयोगी वॉशिंगटन से जवाब मांग रहे हैं. जर्मन दूतावास पहुंचे रोएटगेन ने कहा, "हमें अब भी नहीं पता चला है कि जासूसी से किस तरह की जानकारी मिली है."

बीएनडी में डबल एजेंट का काम कर रहा था सीआईए का जासूस
तस्वीर: imago

वहीं व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने कहा कि वह खुफिया एजेंसियों को लेकर खबर की पुष्टि नहीं कर सकते हैं लेकिन उन्हें खारिज भी नहीं कर सकते. लेकिन अमेरिकी अधिकारी जर्मन राजनयिकों से मिल रहे हैं ताकि मामले को सुलझाया जा सके.

कोई बातचीत नहीं

जर्मनी में जासूसी के मामले को लेकर चांसलर अंगेला मैर्केल और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच कोई बात नहीं हुई है. मैर्केल ने कहा है कि उनकी खुफिया एजेंसियों के कोऑर्डिनेटर ने सीआईए प्रमुख जॉन ब्रेनन से बात की और जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूत जॉन एमर्सन से बर्लिन में बात की है. लेकिन वॉशिंगटन ने भी कहा है कि मैर्केल और ओबामा के बीच अब तक बातचीत की कोई योजना नहीं है.

अंगेला मैर्केल के फोन टैप करने का मामला पिछले साल आया
तस्वीर: Reuters/Fabrizio Bensch

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जर्मनी के साथ तनाव कम करने का एकमात्र तरीका है कि ओबामा मैर्केल के साथ बात करें. लेकिन जर्मन मामलों के जानकार जैक जेन्स कहते हैं कि ओबामा ऐसा कर नहीं सकते और करेंगे भी नहीं. इसलिए मामले को सुलझाने का बोझ विदेश मंत्रालयों पर आएगा और अमेरिकी कांग्रेस इस मामले में उलझना नहीं चाहती. यह परेशानी लंबे दिनों तक बनी रहेगी.

जर्मन मार्शल फंड थिंक टैंक की कारेन डोनफ्रीड कहती हैं कि पिछले साल एनएसए के खुलासे के बाद रिश्तों में बदलाव आया है. लेकिन अमेरिका के लिए जर्मनी यूक्रेन और अफगानिस्तान जैसे मुद्दों में अहम है और दोनों देश अपने रिश्ते जासूसी के आरोपों की बलि नहीं चढ़ाएंगे.

एमजी/एमजे (एएफपी, एपी)