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अमेरिका में राष्ट्रवाद पर छिड़ी तीखी बहस

शोभा शमी
२७ सितम्बर २०१७

नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कुछ अमेरिकी खिलाडियों के अभियान ने देश में एक नई बहस छेड़ी है. राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने की बजाय विरोध स्वरूप घुटनों पर बैठने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल में "सन ऑफ बिच" कहा था.

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Donald Trump
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Anderson

नस्लीय भेदभाव के विरोध में अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ियों का एक अभियान फिर चर्चा में है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि वह उन खिलाड़ियों पर शर्मिंदा हैं, जो अमेरिकी राष्ट्रगान के दौरान घुटनों पर बैठे थे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के लिए लड़ते हुए कई लोगों ने अपनी जान दी है और यह विरोध शर्मनाक है.

दरअसल यह पूरा मामला पिछले साल शुरू हुआ था. पिछले अगस्त में अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी कॉलिन कैपरनिक नस्लीय भेदभाव और पुलिस की ज्यादतियों के विरोध में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने के बजाय घुटने पर बैठ गये थे. उनसे विरोध का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं ऐसे मुल्क के झंडे का सम्मान नहीं कर सकता जो काले और अन्य रंग के लोगों का दमन करता हो."  

बाद में नेशनल फुटबॉल लीग की कई टीमों के खिलाड़ी भी राष्ट्रगान के वक्त घुटनों पर बैठ अपना विरोध दर्ज कराने लगे. इस विरोध ने "take a knee" का नाम लिया. हालांकि मीडिया और लोगों ने इस विरोध को कुछ खास तवज्जो नहीं दी थी. लेकिन हाल ही में ट्रंप ने विरोध कर रहे खिलाड़ियों को "सन ऑफ बिच" कहा. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सारे खिलाड़ियों को बाहर निकाल देना चाहिए.

ट्विटर पर एक बार फिर हुआ ट्रेंड

ट्रंप के बयान के बाद पूरे अमेरिका में लगभग 200 खिलाड़ियों, कुछ कोच और कुछ टीम मालिकों ने इस विरोध में हिस्सा लिया. हाल के दिनों में ट्रंप ने इस मुद्दे पर कई ट्वीट भी किये. ट्विटर पर #Kneeldown और #KneelforAmerica ट्रेंड कर रहा है. मीडिया में नस्ली हमलों और उन प्रदर्शनों पर नए सिरे से चर्चा हो रही है.

ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा कि क्या एक झंडा या एक गान (स्वतंत्रता का प्रतीक) खुद आजादी से ज्यादा महत्पपूर्ण है??

ट्रम्प के पास भी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार हैं

हालांकि, इस मामले पर अमेरिकी अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स ने सार्वजनिक रूप से राष्ट्रपति की तरफदारी की. उन्होंने कहा कि खिलाड़ी बड़ी गलती कर रहे थे और उनका अभियान "हमारे लिए इस देश की प्रतिबद्धता को कमजोर करता है. "

उन्होंने जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल में एक भाषण में कहा, "खिलाड़ी किसी भी अभियोजन पक्ष के अधीन नहीं हैं, लेकिन अगर वे एक उत्तेजक अभियान में हिस्सा लेते हैं, तो उनकी भी निंदा होगी और राष्ट्रपति को उनकी निंदा करने का अधिकार है. मैं भी उनके इस अभियान की निंदा करता हूं."