अमेरिका-चीन मानवाधिकार संवाद बहाल
२३ अप्रैल २०१०अमेरिका ने बातचीत की बहाली की घोषणा करते हुए कहा है कि वह बातचीत में इंटरनेट और धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित चिंताओं को उठाएगा. 13 और 14 मई को होने वाली वार्ता राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल की पहली वार्ता होगी. नागरिक अधिकार संघर्षकर्ता ओबामा पर आरोप लगाते रहे हैं कि वे चीन के साथ संबंधों को सुधारने के लिए मानवाधिकारों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं.
दोनों देशों ने पहले इस साल के आरंभ में बात करने की योजना बनाई थी, लेकिन राष्ट्रपति ओबामा के तिब्बती नेता दलाई लामा से भेंट और अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचे जाने पर चीनी नाराज़गी के बीच कोई तारीख़ तय नहीं की गई थी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फ़िलिप क्राउले ने कहा है कि उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता, इंटरनेट स्वतंत्रता और कानून के शासन सहित विभिन्न मुद्दों पर बेबाक बातचीत की उम्मीद है.
चीन 1989 में लोकतांत्रिक आंदोलन के ख़ूनी दमन और प्रतिबंधित आध्यात्मिक आंदोलन फालूनगोंग जैसे मुद्दों पर जानकारी को ब्लॉक करने के लिए बड़े पैमाने पर इंटरनेट फिल्टर का इस्तेमाल करता है. इंटरनेट सर्च इंजिन गूगल ने कंपनी पर साइबर हमलों की रिपोर्ट दी थी और उसके बाद चीन के सेंसरशिप अधिकारियों के साथ सहयोग करने से मना कर दिया था.
क्राउले ने कहा कि अमेरिका हाल के उन मामलों को भी उठाएगा जिनमें अलोकप्रिय मामलों की पैरवी करने वाले चीनी वकीलों को अधिकारियों ने परेशान किया था. क्राउले ने कहा, "कानून के शासन का यही मतलब है, चीन सरकार को कानूनी पेशे को धमकाना नहीं चाहिए और अपने किसी नागरिक को वकील लेने के अधिकार से वंचित नहीं करना चाहिए."
गुरुवार को चीन के दो वकीलों तांग जितियान और लियू वाइ ने वक़ालत के अपने लाइसेंस को निरस्त किए जाने के ख़िलाफ़ कोर्ट में अपील की है. फालूनगोंग के एक समर्थक की पैरवी करने के बाद उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया था.
चीन और अमेरिका ने थियानानमेन हत्याकांड के बाद मानवाधिकार संवाद शुरू किया था, लेकिन 2002 में अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर चीन की आलोचना के बाद चीन ने बातचीत रोक दी थी. उसके बाद वह वार्ता के सिर्फ़ एक दौर के लिए राज़ी हुआ जो मई 2008 में हुई.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा मोंढे