अमीरों और गरीबों का खाना
भारत में आजादी के 67 साल बाद भी जीवन की परिस्थितियों में बहुत बड़ा अंतर है. इसका नमूना नागरिक सुविधाओं के अभाव के अलावा खान पान के तरीकों में भी दिखता है.
समृद्ध घरों में खाना थालियों में परोसा जाता है. पकवानों में विविधता होती है.
देहात में आधुनिक चूल्हे नहीं हैं. ढेर सारे लोग खाना पुराने तरीकों से ही बनाते हैं.
लिट्टी उत्तर भारत के कुछ इलाकों में लोकप्रिय आहार है. लिट्टी बनाने की तैयारी.
अगर बेलन और चकला न हो तो फिर हाथ से ही बना दी जाती हैं रोटियां.
ईंट लगा कर बनाए गए कामचलाऊ चूल्हे पर गेहूं की रोटी पकाती एक महिला.
शहरों की पार्टियों में रायता और सलाद खाने का सामान्य हिस्सा बन गए हैं.
देहातों की पार्टियां गोबर के उपले की आग में सत्तू की लिट्टी पका कर होती हैं.
सिख गुरुद्वारों में लंगर में सामूहिक रूप से साथ बैठकर खाने का रिवाज है.
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