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समाज

अब दफ्तर बनेंगे स्मार्ट

८ जनवरी २०१९

जरा ऐसे दफ्तर की कल्पना कीजिए जहां अंदर जाने के लिए किसी कार्ड या चाबी की जरुरत ना पड़े, प्रिंटर में कागज कभी खत्म ना हो, सांस लेने के लिए हमेशा अच्छी हवा मिले और मीटिंग करने के लिए हमेशा पर्याप्त जगह हो.

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Fotos zu "Die coolsten Büros Deutschlands"
तस्वीर: Zalando

जर्मन राजधानी बर्लिन के इस ऑफिस में ऐसी सुविधाओं के साथ काम करने वालों को स्थायी डेस्क तो नहीं मिलेगी, मगर उनको डेस्क ढूंढने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मदद जरूर मिलेगी. वे अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर काफी कुछ कर पाएंगे.

नई तकनीक की मदद से कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. जैसे जैसे टेक्नॉलजी बदल रही है, वैसे वैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ऐसा दफ्तर बनाया जा रहा है जहां लोग और अधिक कुशलता और आराम से काम कर सकें.

ये बदलाव बर्लिन में बहुत तेजी से होते दिख रहे हैं क्योंकि बर्लिन एक बहुत लोकप्रिय स्टार्ट-अप हब के तौर पर देखा जा रहा है. वहां दफ्तरों के खाली रहने की दर सिर्फ 1.5 प्रतिशत रह गई है, जिसकी वजह से ऑफिसों का किराया भी बढ़ा है. इसलिये ऑफिस बनाने वाले बर्लिन में अपनी सबसे अच्छी पेशकश कर रहे हैं.

इस सबके लिए बर्लिन ने नीदरलैंड्स से प्रेरणा ली है जहां पर कई घरों और दफ्तरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हुआ है.

जालांडो और डिलीवरी हीरो जैसी स्थानीय स्टार्ट-अप बर्लिन में ऑफिस स्पेस की मांग को बढ़ावा दे रही हैं. दो नए स्मार्ट ऑफिस स्पेस बर्लिन की दीवार के पास बनाए जा रहे हैं, जहां पर शहर का मुख्य ट्रेन स्टेशन भी है.

ऑस्ट्रियाई रियल एस्टेट कंपनी सीए इमो द्वारा बनाया जा रहा ऐसा एक स्मर्ट प्रोजेक्ट 'क्यूब' 2019 के अंत तक पूरा हो जाएगा. वहीं एज टेक्नॉलजीज कंपनी 'एज सेंट्रल' नाम का ऑफिस स्पेस बना रही है जो कि 2020 तक बन जाएगा. दोनों दफ्तरों में सेंसरों का एक नेटवर्क होगा जो गति, तापमान और प्रकाश से नमी और कार्बन डाइ ऑक्साइड को मापेगा और एक क्लाउड प्लेटफार्म से जुड़ा रहेगा.

Fotos zu "Die coolsten Büros Deutschlands"
तस्वीर: Trivago

क्यूब में इस तकनीक को "दी ब्रेन" कहा जा रहा है, जो सारे डाटा का खुद से विश्लेषण करेगा और इस बारे में फैसले लेगा कि कैसे दफ्तर को और बेहतर तरह से चलाया जा सकता है. जैसे अगर ऑफिस का कोई हिस्सा खाली है तो "दी ब्रेन" उस हिस्से की बिजली और हीटिंग सिस्टम को बंद कर देगा और अगर किसी मीटिंग रूम में ज्यादा लोग है तो उस रूम में ऑक्सीजन की मात्रा और बढ़ा सकेगा.

कर्मचारी अपने स्मार्टफोनों के एक ऐप से पूरी बिल्डिंग को जान सकते हैं. ये ऐप कर्मचारियों की दिनचर्या जानता है और इसलिये बता सकता है कि आपको कहां बैठना चाहिए और कौन से मंजिल पर मीटिंग होने वाली है. इस ऐप से मीटिंग के लिए कमरा भी बुक किया जा सकता है और खाने का ऑर्डर भी किया जा सकता है. मगर इस सुविधा का उपयोग करने के लिए काम करने वालों को अपने ऐप को "विजिबल" की सेटिंग पर रखना होगा ताकी बाकी के लोगों को पता चले की वो दफ्तर में है.

कुछ अध्ययनों में बताया गया है कि लोग अच्छी हवा, कम शोर और कम उमस में ज्यादा अच्छे से काम करते हैं. अगर पुरानी और नई तकनीक वाले दफ्तरों की तुलना की जाए तो ये साफ है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेस से लैस दफ्तरों में लोग बीमार कम पड़ते हैं और छुट्टी भी कम लेते हैं.

जालांडो के उपाध्यक्ष रायमुंड पेत्जमान का कहना है, "ये बहुत जरुरी है कि हम ऐसे दफ्तर बनाएं जो सबके लिए हों." मगर कुछ लोगों का मानना है कि वो हर रोज अपना डेस्क बदलने की योजना से खुश नहीं होंगे.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)