अफगानिस्तान में "सुरक्षित नहीं हिंदू और सिख"
पिछले दिनों जर्मन शहर कोलोन में अफगान शरणार्थियों ने बड़ा प्रदर्शन किया जिसमें हिंदू और सिख समुदाय के लोग भी शामिल थे. इन लोगों का आरोप है कि शरण के आवेदन खारिज करके लोगों को जबरदस्ती अफगानिस्तान भेजा जा रहा है.
विरोध
सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतर कर शरणार्थियों को उनके देश भेजे जाने का विरोध किया.
अर्जियां खारिज
हाथों में बैनर और पोस्टर उठाए इन लोगों का कहना है कि बड़े पैमाने पर शरण की अर्जियां खारिज की जा रही हैं, ताकि लोगों के पास अपने देश लौटने के अलावा कोई चारा न बचे.
सुरक्षित नहीं
इन लोगों में हिंदू और सिख समुदाय के लोग भी शामिल थे. उनका कहना है कि हिंदू और सिख अफगानिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं.
220 हजार से 220 रह गए
अफगानिस्तान में कभी दो लाख 20 हजार हिंदू और सिख परिवार थे. अब 220 रह गए हैं. बढ़ते कट्टरपंथी खतरों के कारण बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ रहे हैं.
अफगान शरणार्थी
सीरिया के बाद अफगानिस्तान शायद दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां से हाल के सालों में बड़ी संख्या में शरणार्थी जर्मनी आए हैं.
जर्मन भी साथ
इन लोगों के साथ कई जर्मन भी इस मार्च में शामिल थे और इनके हक में आवाज बुलंद कर रहे थे.
मर्जी से छोड़ा
जर्मनी में अपनी मर्जी से देश छोड़ने वाले प्रवासियों की संख्या साल 2016 में 16 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. लोग अर्जी खारिज पर होने पर डिपोर्टेशन यानी प्रत्यर्पण से बचना चाहते हैं.
खतरा बढ़ा
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन ने दिसंबर 2016 में कहा था कि अफगानिस्तान में सुरक्षा हालात खराब हैं और देश का पूरा इलाका घरेलू हथियारबंद विवाद से प्रभावित है.