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अफगान चुनाव में तालिबानी धमकी

१० मार्च २०१४

इस्लामी चरमपंथी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति चुनाव को निशाना बनाने का एलान किया है. हामिद करजई के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए देश में 5 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं.

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तस्वीर: Reuters

तालिबान ने अपने लड़ाकों से आग्रह किया है कि वह पोलिंग स्टाफ, मतदाताओं और सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाए. अफगानिस्तान में पूर्व में हुए राष्ट्रपति चुनाव भी हिंसा की चपेट में आ चुके हैं. साल 2009 में सिर्फ मतदान वाले दिन हुई हिंसा में 31 नागरिक और 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. अमेरिकी समर्थित उन चुनाव में तालिबान ने अपना विरोध दर्ज कराया था. एक और खून से सना चुनाव उस छवि को नुकसान पहुंचाएगा जिसमें अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं ने दावा किया है कि 2001 से अफगानिस्तान में महंगी सैन्य और नागरिक हस्तक्षेप ने राज्य प्रणाली स्थापित करने में प्रगति की है. 13 साल तक भीषण लड़ाई लड़ने के बाद नाटो सेना अफगानिस्तान से जाने वाली है.

तालिबान ने ईमेल में जारी किए गए बयान में कहा, "हमने अपने सभी मुजाहिदीनों से कहा है कि वह अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल आने वाले चुनाव में करें. सभी कर्मचारियों, कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों, सुरक्षा तंत्र और दफ्तरों को निशाना बनाएं. सभी अफगान नागरिकों के लिए यह एक धार्मिक दायित्व है कि वे चुनाव की शक्ल में आक्रमणकारियों की नई साजिश को विफल करें." अफगानिस्तान में सैन्य अभियानों और विकास के लिए अरबों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन देश अब भी गरीबी और हिंसा की मार झेल रहा है. नए राष्ट्रपति के लिए आने वाला वक्त चुनौती भरा होगा क्योंकि नाटो के समर्थन के बिना उसे तालिबान से लड़ना होगा और अंतरराष्ट्रिय आर्थिक मदद भी घटने जा रही है.

Wahlen in Afghanistan
तालिबान ने मतदाताओं को भी धमकी दीतस्वीर: picture alliance/dpa

तालिबान से शांति वार्ता

तालिबान से शांति वार्ता की शुरुआत की कोशिश अब तक नाकाम साबित हुई है. नई सरकार के आने पर बातचीत की एक और कोशिश की जाएगी क्योंकि उसकी कोशिश होगी कि तालिबान के प्रभाव वाले इलाके में स्थिरता लाई जाए. साल 2004 से हुए सभी चुनावों को तालिबान ने निशाना बनाया है. लेकिन सोमवार को जारी बयान में चुनाव को निशाना बनाते हुए तालिबान की तरफ से पहला स्पष्ट खतरा नजर आ रहा है. इस बार अफगानिस्तान राष्ट्रपति के चुनाव के मैदान में अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह, पूर्व विदेश मंत्री जालमई रसूल और अशरफ गनी हैं. अब तक का चुनाव प्रचार अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा है. हालांकि पिछले दिनों बंदूकधारियों ने अब्दुल्लाह के दो सहयोगियों की हेरात में हत्या कर दी. तालिबान ने अपने बयान में कहा, "हम एक बार फिर देशवासियों से आह्वान करेंगे कि चुनावी कार्यालयों, मतदान बूथ, रैली और प्रचार से दूर रहें ताकि अल्लाह न करे कि उनकी जान को खतरा हो. अगर इसके बाद भी कोई शामिल होता है तो वह पूरी तरह से भविष्य में होने वाले नुकसान के लिए खुद ही जिम्मेदार रहेगा."

तालिबान ने अपने बयान में कहा है कि "सीआईए और पेंटागन के दफ्तरों में वास्तविक चुनाव हो चुके हैं और उनका पसंदीदा उम्मीदवार जीत भी चुका है." हालांकि तालिबान ने उम्मीदवार का नाम अपने बयान में नहीं लिखा है. अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान की धमकी पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. अधिकारियों का कहना है कि करीब करीब सभी मतदान केंद्र सुरक्षित रहेंगे और सुरक्षाकर्मी सुरक्षित मतदान कराने के लिए अलर्ट पर हैं.

एए/आईबी (एएफपी/रॉयटर्स)

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