योगेंद्र और प्रशांत पीएसी से बाहर
५ मार्च २०१५योंगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक हैं. लेकिन करीब साल भर से उनके और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेदों की खबरें आ रही थीं. दिल्ली में इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में आप को मिली जबरदस्त सफलता के बाद ये मतभेद खुलकर सामने आ गए.
योगेंद्र यादव की नाराजगी सोशल मीडिया के जरिए बाहर आई तो प्रशांत भूषण का खत मीडिया में लीक हुआ. दोनों नेताओं ने पार्टी को सिंद्धातों पर टिके रहने की हिदायत दी और आप के खिलाफ सामने आई कुछ शिकायतों पर ध्यान देने की मांग भी की. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी व्यक्ति केंद्रित नहीं होनी चाहिए.
दोनों नेताओं ने माना कि फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनका संवाद बंद है. इसी दौरान दूसरे खेमे से आप के कई नेता सामने आए और प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव पर आरोप लगाने लगे. काफी दिनों तक अंदरूनी तौर पर चल रहा विवाद मीडिया के जरिए लड़ा जाने लगा.
इसके बाद यह साफ हो चुका था कि आम आदमी पार्टी इन दोनों नेताओं को किनारे करेगी. बुधवार को यही हुआ. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दो नेताओं को पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) से बाहर करने का प्रस्ताव लाया गया. सबको पता था कि ये दो नेता कौन हैं. इस दौरान अरविंद केजरीवाल वहां मौजूद नहीं थे. योगेंद्र और प्रशांत के पक्ष में सिर्फ आठ वोट पड़े. बहुमत उनके खिलाफ रहा.
बैठक के बाद पीएसी के सदस्य और पार्टी के प्रवक्ता कुमार विश्वास ने कहा, "बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि दो वरिष्ठ साथियों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पीएसी की जिम्मेदारी से मुक्त कर नई जिम्मेदारी दी जाएगी."
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, "मैं पार्टी का सिपाही और कार्यकर्ता हूं, मुझसे जो कहा जाएगा, मैं वो करुंगा."
दिल्ली के चुनावों में आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं. अब पार्टी के सामने अपने वादों पर खरा उतरने की चुनौती है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पार्टी के भीतर विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है. योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण का झुकाव समाजवादी वाम विचारधारा की तरफ है तो बाकी नेता दूसरी विचारधाराओं का मिला जुला रूप हैं.
ओएसजे/एसएफ (पीटीआई, डीपीए)