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अपने ही लक्ष्यों पर सवाल उठाता यूएन

३१ अक्टूबर २०१७

विश्व जलवायु सम्मेलन के महज कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है. जलवायु परिवर्तन से जुड़ी यह रिपोर्ट पेरिस जलवायु समझौते में शामिल देशों की प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठाती है.

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Deutschland BdT Sonnenaufgang am Kohlekraftwerk in Niedersachsen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte

संयुक्त राष्ट्र इन दिनों विश्व जलवायु सम्मेलन की तैयारी में जुटा है. दो हफ्ते तक जर्मनी के शहर बॉन में चलने वाले जलवायु सम्मेलन में तकरीबन 200 देशों के लोग शामिल होंगे. लेकिन इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की है जो पेरिस जलवायु समझौते में शामिल देशों की प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठाती है. रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों के मौजूदा लक्ष्य साल 2030 तक उत्सर्जन में महज एक तिहाई की कमी लायेंगे. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम(यूनईपी) की रिपोर्ट कहती है, "समस्या देश की सरकारों के साथ नहीं है बल्कि यहां के निजी क्षेत्र और स्थानीय सरकारों की ओर से है, जो इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं."

Datenvisualisierung ENGLISH Emissions Gap

पेरिस जलवायु समझौता मूल रूप से वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से जुड़ा है. साथ ही यह समझौता सभी देशों को वैश्विक तापमान बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश करने के लिए भी कहता है. तभी जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचा जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर समझौते में शामिल देश अपने तय राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल कर भी लेते हैं तब भी तापमान 3 डिग्री तक बढ़ सकता है. इस स्टडी में अमेरिका को शामिल नहीं किया गया था. यूएनईपी प्रमुख एरिक सोलहाइम इसे एकदम अस्वीकार्य बताते हैं. उन्होंने कहा, "पेरिस समझौते के लागू होने के एक साल बाद भी हम अपने आप को ऐसी स्थिति में पा रहे हैं जहां हम आने वाली पीढ़ियों के अच्छे भविष्य के लिए कुछ नहीं कर सकते." 

रिकॉर्ड कार्बन उत्सर्जन

संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की उस रिपोर्ट के बाद आई हैं जिसमें कहा गया है कि वातावरण में कार्बन डायऑक्साइड की सघनता रिकॉर्ड स्तर पर है और इसकी सघनता वातावरण में पिछले 8 लाख सालों के मुकाबले सबसे अधिक है. डब्ल्यूएमओ के ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के मुताबिक, साल 2016 में कार्बन डायऑक्साइड का स्तर 403.3 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) था जो साल 2015 में 400 पीपीएम दर्ज किया गया था. पीपीएम मापन की एक इकाई है इसका इस्तेमाल मिट्टी, पानी या वातावरण में किसी तत्व की सघनता को जानने के लिए किया जाता है. मसलन एक लीटर पानी में एक मिलीग्राम पानी की मात्रा को एक पीपीएम कहा जायेगा. 

क्या किया जा सकता है

जलवायु सम्मेलन के चंद दिनों पहले जारी की गयी यह रिपोर्ट बॉन में होने वाली बातचीत पर असर डाल सकती है. हालांकि रिपोर्ट ने जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कुछ सुझाव भी दिये हैं. मसलन तकनीक में निवेश सालाना 30 से 40 गीगाटन कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कृषि, निर्माण क्षेत्र, ऊर्जा, वन, कारोबार और परिवहन क्षेत्रों में तकनीकी निवेश कर बड़ी मात्रा में उत्सर्जन कम किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर ऐसा किया जाता है तो दुनिया पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल कर सकेगी.

डेव केटिंग/एए