अच्छे जीन वाले पांडा
२६ जुलाई २०१४चिड़ियाघर या अभयारण्यों में ये प्यारे पांडा प्रजनन नहीं करते. इसी कारण इन्हें बचाए रखने की लड़ाई भी मुश्किल है. चीन में जंगल लगातार कम हो रहे हैं और इसलिए इन्हें भी गंभीर खतरा है. लेकिन नई गर्भाधान तकनीक के कारण चिड़ियाघरों में इनकी संख्या बढ़ी है.
ये प्रोग्राम कितना सफल रहा यह देखने के लिए बीजिंग में चीनी विज्ञान अकादमी और उनके साथियों ने 240 पांडा के जीन का परीक्षण किया. और अच्छी खबर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन पत्रिका में छपी कि जू में पैदा हुए पांडा शिशुओं में काफी आनुवंशिक विविधता पाई गई.
जंगलों में छोड़ना संभव
रिसर्चरों का कहना है कि चिड़ियाघरों में पैदा हुए पांडा जेनेटिक तौर पर एकदम स्वस्थ हैं. इसलिए जंगलों से और पांडा पकड़ने की कोई जरूरत नहीं है. पहले जंगलों में रहने वाले पांडा पकड़ कर उनके जीन्स को पांडाओं की संख्या बढ़ाने के प्रोग्राम में इस्तेमाल किया जाता था. अब इसकी जरूरत नहीं बची है.
बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में इन पांडाओं को जंगल में छोड़ दिया जाए. कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए इन पांडाओं में आनुवांशिक विविधता काफी है और इसलिए जेनेटिक बीमारियों के इनमें होने की आशंका भी कम है.
आनुवांशिक विविधता के कारण ये जानवर दूसरी स्थितियों में अच्छे से तालमेल बिठा लेते हैं. इसी कारण यह संभावना भी बढ़ गई है कि ये पांडा पर्याप्त दिन जीवित रहें. हालांकि जंगलों के खत्म होने और उनकी कटाई के कारण इन पांडाओं के नुकसान को कोई नहीं बचा सकता.
शोधकर्ताओं ने वोलोंग, चेंगडू, लोगुआंताई और बीजिंग के चिड़ियाघरों के कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों की जांच की. यहां जू में रहने वाले कुल पांडा का 64 फीसदी रहता है.
रिपोर्टः ब्रिगिटे ओस्टेराथ एएम
संपादनः ईशा भाटिया