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अंशु जैन का एक साल

३१ मई २०१३

डॉयचे बैंक के भारतीय मूल के प्रमुख अंशु जैन को इस पद पर एक साल हो गया है लेकिन बैंक घोटालों और धांधली के मामलों में फंसा है. अब जैन जर्मन बोलकर अपने जर्मन बैंक के मालिकों और हिस्सेदारों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

हथियार कंपनी राइनमेटाल के साथ वित्तीय समझौते और खाद्य बाजार में सट्टाबाजी, इन दो आरोपों ने बैंक की छवि काफी हद तक बिगाड़ी है. यहां तक कि 2008 में अमेरिकी आर्थिक संकट के पीछे भी डॉयचे बैंक का बड़ा हाथ माना जाता है. अमेरिकी सीनेट के मुताबिक गोल्डमैन सैख्स के अलावा डॉयचे बैंक अमेरिकी आर्थिक संकट के बड़े कारणों में से है. हाल में ब्याज दरों में घोटाला और कार्बन क्रेडिट बेचने में धांधली के आरोप भी डॉयचे बैंक पर लगे हैं. फ्रैंकफर्ट में दफ्तर के बाहर विरोधी प्रदर्शन और पुलिस के छापे, डॉयचे बैंक के बुरे हालात की खबर अखबारों तक पहुंच ही जाती है. बैंक के बारे में कहा जाता है कि इस तरह के घोटालों से जूझने के लिए अलग से 2.4 अरब यूरो रखे गए हैं.

अब डॉयचे बैंक के प्रमुख, भारतीय मूल के अंशु जैन अपने सह प्रमुख युर्गेन फिट्शन सहित गड़बड़ी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं. फिट्शेन ने अपने एक भाषण में शेयरधारकों से बताया कि बैंक अपनी संस्कृति में बदलाव लाना चाहता है और अपने अतीत को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन हिस्सेदारों का मानना है कि उन्हें और संयम रखना होगा. संस्कृति में बदलाव इस वक्त मुश्किल है क्योंकि बैंक वादे तो बहुत करता है लेकिन कुछ होता नहीं है.

Merkel und Tusk und Jain in Berlin Buchvorstellung
तस्वीर: Reuters

डॉयचे बैंक ने इस बीच मुआवजा देने का एक मॉडेल विकसित किया है जिसे उसकी मैनेजमेंट ने भी मंजूरी दे दी है. बैंक इसके जरिए अपना सांस्कृतिक बदलाव लागू करना चाहता है. मुनाफे के अलावा बैंक अब अपने ग्राहकों और कर्मचारियों के बारे में भी सोचता दिख रहा है. कर्मचारियों को बोनस किस्तों में दिए जाएंगे.

डॉयचे बैंक लेकिन फिर भी जर्मनी के लिए अहम हैं. जर्मन विश्वविद्यालय होहेनहाइम में बैंकिंग पढ़ा रहीं आंसगर बुर्गहोफ कहते हैं कि जर्मनी का यह एकमात्र बड़ा और अंतरराष्ट्रीय बैंक है. जर्मन उद्योग के लिए इसकी बहुत अहमियत है. शायद यह भी एक वजह है कि डॉयचे बैंक के प्रमुख के तौर पर अंशु जैन की आलोचना होती है. जर्मन न जानने की वजह से उनकी कंपनी के शेयरधारक उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे थे. अब तक अंग्रेजी में अपने जर्मन बैंक के भागीदारों से बात कर रहे जैन को भी जर्मन सीखनी पड़ रही है. आखिरकार जैन ने कुछ दिन पहले जर्मन में अपना पहला भाषण दिया. जैन का सांस्कृतिक बदलाव तो होता दिख रहा है, शायद इसी से बैंक की छवि कुछ बेहतर हो सके.

रिपोर्टः साशा कायजर/एमजी

संपादनः ए जमाल

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