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अंटार्कटिका के गर्भ में जीवन

२३ अगस्त २०१४

पृथ्वी की सबसे ठंडी जगह पर बर्फ की बेहद मोटी परत के 800 मीटर नीचे बिल्कुल अंधेरा है. लेकिन इतनी विषम परिस्थितियों में भी वहां जीवन के सबूत मिले हैं. ऐसे बैक्टीरिया मिले हैं जो चट्टान खाते हैं.

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तस्वीर: Dirk Schories

दक्षिणी ध्रुव में लेक विलेन्स इलाके में बीते साल ड्रिलिंग शुरू की गई. वैज्ञानिक सैकड़ों मीटर मोटी बर्फ की परत को खोदकर नीचे से नमूना लेना चाहते थे. 800 मीटर की खुदाई के बाद वैज्ञानिकों को एक झील सी मिली. इसकी सतह पर पानी भी था और बर्फ भी. इसी झील के तल से चट्टान और मलबे का नमूना लिया गया.

सैंपल का जब लैब में परीक्षण किया गया तो कुछ अतिसूक्ष्म जीवों की हजारों प्रजातियां मिली. विज्ञान जगत की मशहूर पत्रिका नेचर के मुताबिक डाइवर्स माइक्रोबायल कम्युनिटी ने कम से कम से कम 3,931 अलग अलग प्रजातियां या प्रजातियों के समूह खोजे हैं. कई प्रजातियां तो ऐसी है जो जिंदा रहने के लिए चट्टान खाती हैं. कार्बन पाने के लिए कुछ प्रजातियां कार्बन डायऑक्साइड का इस्तेमाल करते हैं.

रिसर्च के लिए वित्तीय मदद देने वाली संस्था अमेरिकी नेशलन साइंस फाउंडेशन ने इसे बड़ी खोज करार दिया है, "अंटार्कटिक की बर्फ की चादर के नीचे ऐसी 400 से ज्यादा झीलें और कई नदियां या जलधाराएं हैं, हो सकता है कि ऐसा इकोसिस्टम बहुत बड़े इलाके में फैला हो."

MV Akademik Shokalskiy Antarktis Eisbrecher
अंटार्कटिका में वैज्ञानिकतस्वीर: Reuters

इससे पहले 2012 में रूसी वैज्ञानिकों ने भी अंटार्कटिक में दबी सबसे बड़ी झील लेक वोस्टॉक में नया बैक्टीरिया खोजने का दावा किया था. हालांकि बाद में कहा जाने लगा कि बैक्टीरिया प्रदूषण की वजह से आया हो सकता है.

अब अमेरिका, इटली और वेल्स के साझा प्रोजेक्ट में मिली प्रजातियों ने रूसी वैज्ञानिकों की खोज को भी बल दिया है. लेक विलेन्स में मिली अतिसूक्ष्म प्रजातियों का जब डीएनए टेस्ट किया गया तो पता चला कि 87 फीसदी बैक्टीरिया से जुड़े हैं. 3.6 फीसदी प्रजातियां एककोशिकीय हैं.

इन नतीजों से भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को भी फायदा मिलेगा. अगर पृथ्वी की बेहद ठंडी जगह पर चट्टानें खाने वाला बैक्टीरिया हो सकता है तो मुमकिन है कि मंगल पर भी ऐसे अतिसूक्ष्म जीव हों.

ओेएसजे/एमजे (एएफपी)