हैम्बर्ग हवाई अड्डे में बॉडीस्कैनर से चेकिंग
२७ सितम्बर २०१०महीनों तक सारे देश में इस पर विवाद चलता रहा. एक्स रे में तो सिर्फ हड्डियां दिखती हैं, लेकिन इस स्कैनर के जरिये पर्दे पर कपड़ों के बिना शरीर का पूरा आकार दिखेगा. लेकिन देश के गृहमंत्री थोमास दे मेज़ियेर का कहना है कि यह नंगी तस्वीर नहीं होगी. "यह नंगी तस्वीर नहीं है, सिर्फ पिक्टोग्राम है. इन आंकड़ों को जमा नहीं किया जाएगा, और इससे सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा."
लुएबेक की संघीय पुलिस अकादमी की प्रयोगशाला में पिछले महीनों के दौरान इस मशीन का परीक्षण किया जाता रहा है. एक्स रे के बदले इस मशीन में मिलिमीटर वेव का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर को छानते हुए उसकी एक तस्वीर बनाता है. हवाई अड्डे पर इसका इस्तेमाल उन्हीं यात्रियों पर किया जाएगा, जो इसके लिए राजी होंगे. बाकी यात्रियों की तलाशी मामूली तरीके से की जाएगी.
निजी आंकड़ों की सुरक्षा के लिए जर्मन सरकार के प्रभारी पेटर शार ने इस सिलसिले में ध्यान दिलाया है कि इस मशीन के इस्तेमाल के बाद भी अनेक लोगों की मामूली ढंग से तलाशी की जरूरत पड़ेगी. खास कर ऐसे लोगों की, जिन्हें नकली अंगों या चिकित्सीय उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ता है. ऐसे अंग इस मशीन में खतरनाक रंगीन हिस्सों के रूप में दिखाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस बात की गारंटी जरूरी है कि सिर्फ सुरक्षा कर्मी ही पर्दे पर इन तस्वीरों को देख सकें, दूसरे यात्री नहीं.
नीदरलैंड्स या ब्रिटेन में परीक्षण के स्तर पर कुछ समय से इन मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इटली में भी ऐसे परीक्षण किए जा रहे थे, लेकिन प्रत्याशित नतीजे न मिलने के कारण अब इनका इस्तेमाल बंद कर दिया गया है. इसके विपरीत अमेरिका के हवाई अड्डों पर व्यापक स्तर पर इनके प्रयोग की योजना है. जर्मनी में यह परीक्षण इसलिए भी विवादास्पद था, क्योंकि इसे तैयार करने वाली कंपनी एल-3 कॉम्युनिकेशंस क्लस्टर बमों का भी उत्पादन करती है. ग्रीन और वामपंथी पार्टी के अलावा मानव अधिकार संगठनों की मांग थी कि इस कंपनी के साथ कोई नाता न रखा जाए. गृहमंत्री दे मेज़ियेर ने इस मांग को ठुकराते हुए कहा है कि कंपनी ने विधिवत रूप से घोषणा की है कि उसका इन बमों के उत्पादन से कोई रिश्ता नहीं है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: आभा एम