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हेलिकॉप्टर सौदे पर मचा हंगामा

कुलदीप कुमार२७ अप्रैल २०१६

भारत के राजनीतिक जगत में एक बार फिर एक ऐसे घोटाले को लेकर खलबली मच गई है जो 1980 के दशक के बोफोर्स घोटाले की याद दिलाता है. कुलदीप कुमार का कहना है कि अंतर ये है कि इस बार सत्तारूढ़ पार्टी विपक्ष पर आरोप लगा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/Photo Shot/B. Photo

दिलचस्प बात यह है कि जैसे बोफोर्स मामले में गांधी परिवार को घसीटा गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर सीधे-सीधे कमीशन खाने के आरोप लगाए गए थे, उसी तरह इस बार भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विरोधियों के निशाने पर हैं. फर्क सिर्फ यह है कि राजीव गांधी पर आरोप लगाने वाले उस समय विपक्ष में थे लेकिन सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और अन्य कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाने वाले इस समय केंद्र सरकार में सत्ता में हैं. लेकिन सोनिया गांधी इस चुनौती से भयभीत नहीं लगतीं. उन्होंने एक बयान में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार दो साल से सत्ता में है. फिर वह इस मामले में चल रही जांच को निष्पक्षता के साथ जल्दी से जल्दी क्यों नहीं पूरा कराती ताकि सच्चाई सामने आ सके? उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने भी कहा है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया. लेकिन संसद के दोनों सदनों में मंगलवार और बुधवार को यह मामला गूंजता रहा.

विवाद इटली की एक कंपनी से अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर की खरीद को लेकर है. इस कंपनी पर इटली में भ्रष्टाचार का मुकदमा चला जिसके दौरान इस प्रकार के सबूत सामने आए जिनसे पता चलता था कि इस सौदे को पक्का करने के लिए भारत के तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफवेस्टलैंड मार्शल एसपी त्यागी और उनके रिश्तेदारों के अलावा कई राजनीतिक नेताओं को भी रिश्वत दी गई थी. लेकिन निचली अदालत ने इस मुकदमे को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय ने उसके फैसले को उलट दिया. कुछ दस्तावेजों में सोनिया गांधी का नाम भी है. लेकिन किसी में भी कोई ऐसा अकाट्य प्रमाण नहीं है जिसके आधार पर उन्हें, मनमोहन सिंह या किसी अन्य कांग्रेस नेता को दोषी कहा जा सके. लेकिन भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का बहाना मिल गया है. इस समय पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. जाहिर है कि भाजपा की कोशिश कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाल कर चुनावी लाभ उठाने की है.

Giuseppe Orsi CEO Finmeccanica
गुइजेप ओर्सी पर फैसला बदलातस्वीर: picture-alliance/AP

लेकिन कांग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह सरकार ने यह मामला सामने आते ही सबसे पहले इस सौदे को रद्द किया और फिर इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया. इसके विपरीत नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट से हटा दिया है. यदि यह कंपनी भारतीय सेनाधिकारियों और राजनीतिज्ञों को रिश्वत देने की दोषी है, जैसा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं, तो फिर उसे ब्लैकलिस्ट से बाहर करने का क्या आधार है?

दरअसल सच्चाई यह है कि विमानों, हेलिकॉप्टरों, हथियारों और अन्य रक्षा उपकरणों की खरीद के हमाम में सभी नंगे हैं. दुनिया भर में इन सौदों में कमीशन दिया और लिया जाता है. इससे बचने का एक तरीका पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने यह निकाला था कि अपने कार्यकाल में उन्होंने खरीद लगभग होने ही नहीं दी. लेकिन इससे देश की रक्षा तैयारी पर प्रतिकूल असर पड़ता है. जरूरत पारदर्शी प्रक्रियाओं को अपनाने की है. खबर है कि मनमोहन सिंह की पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ही हेलिकॉप्टरों की शर्तों में बदलाव कर दिया था. क्यों, यह स्पष्ट नहीं है.

इस समय सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच कर रहे हैं. ऐसी अपुष्ट खबरें भी आ रही हैं कि नरेंद्र मोदी ने इटली के प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया है कि यदि सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ सुबूत भारत को दे दिए जाएं तो भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटैलियन नौसैनिकों को रिहा कर दिया जाएगा. लेकिन इस तरह की खबरों को अफवाह मानना ही ठीक होगा.

महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी राजनीतिक दल जब विपक्ष में होते हैं, तब वे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगाते हैं. लेकिन जब वे खुद पाला बदल कर सत्ता में आते हैं, तो वे भी पिछली सरकारों जैसा आचरण करने लगते हैं और भ्रष्टाचार के उन मामलों की तह तक पहुंचने की कोई कोशिश नहीं करते जो उन्होंने खुद ही उठाए थे. भारत में इक्का-दुक्का मामलों में ही किसी राजनीतिक नेता को सजा होती है.