हिरासत में मौत के मामले में आईजी क्यों गिरफ्तार
३० अगस्त २०१७भारत में शायद यह पहली बार है जब आईजी रैंक के किसी पुलिस अधिकारी को हिरासत में मौत के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है. हिरासत के दौरान कोठकई पुलिस स्टेशन में 18 जुलाई को एक नेपाली मजदूर सूरज सिंह की मौत हो गयी थी. आरोप है कि हिरासत में सूरज सिंह को खूब मारा गया और इसी दौरान एक और आरोपी राजेंद्र सिंह ने उसकी हत्या कर दी. राजेंद्र और सूरज उन छह लोगों में हैं जिन्हें पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पकड़ा था.
हाल में शिमला में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गयी थी. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़की का क्षत विक्षत शव 4 जुलाई को जंगल में मिला. इस घटना को लेकर शिमला और हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों में भारी प्रदर्शन हुआ. विरोध प्रदर्शनों के कारण दबाव में आयी सरकार ने आनन फानन में आईजी जहूर जैदी के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन किया गया. एसआईटी के गठन से पहले डीएसपी राजेंद्र सिंह इस मामले की जांच कर रहे थे.
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा है, "आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया जिसके बाद उन्हें चार सितंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया."
राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में इस मामले के जोर पकड़ने से राजनेता भी चिंतित हैं. कई लोगों का आरोप है कि इस मामले में असल आरोपियों को बचाने की कोशिश हो रही है. इसके साथ ही लोगों ने सबूतों को खत्म करने के आरोप भी लगाये हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में हुई जांच पर नाखुशी जताई थी और फिर सीबीआई को इसकी जांच करने का आदेश दिया था.
सीबीआई ने इस मामले में छानबीन शुरू की तो कोठकई थाने के एक पुलिसकर्मी ने बयान दिया कि सूरज सिंह को थाने में नहीं मारा गया क्योंकि उस दिन वह ड्यूटी पर था और उसे कोई आवाज नहीं सुनायी दी. इस पुलिसकर्मी का दावा है कि सूरज सिंह को कहीं और से मार कर थाने लाया गया. सूरज सिंह की मौत के बाद तेज हुए विरोध प्रदर्शनों में इस थाने को भी जला दिया गया. सीबीआई ने अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि सूरज सिंह की मौत कैसे हुई. सीबाई इस मामले में 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी है.
निखिल रंजन