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हर हफ्ते 1,500 रोहिंग्या भेजे जाएंगे म्यांमार

१६ जनवरी २०१८

बांग्लादेश हर हफ्ते 1,500 रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजेगा. समझौते के बाद म्यांमार और बांग्लादेश के बीच रोहिंग्याओं की वापसी को लेकर समय सीमा भी तय हुई.

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Bangladesch Rohingya-Flüchtlinge in Palong Khali
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Armangue

बांग्लादेश का कहना है कि म्यांमार हर हफ्ते 1,500 रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए राजी हो गया है. दोनों देशों को उम्मीद है कि दो साल के भीतर बांग्लादेश में रह रहे सारे रोहिंग्या वापस म्यांमार लौट जाएंगे. बांग्लादेश में इस वक्त करीब 7 लाख रोहिंग्या हैं. इनमें से ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान हैं. अगस्त 2017 में रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना के ऑपरेशन के बाद ये लोग भागकर बांग्लादेश आए. मानवाधिकार संस्थाओं का आरोप है कि म्यांमार ने रोहिंग्याओं का सफाया करने की कोशिश की. म्यामांर की सेना इस दावे को खारिज करती है. सेना का कहना है कि रखाइन प्रांत में पुलिस पोस्ट पर रोहिंग्या चरमपंथियों के हमले के बाद ही सैन्य कार्रवाई की गई.

राहत और बचाव से जुड़ी संस्थाओं ने रोहिंग्याओं को जबरन म्यांमार भेजने पर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी यूएनएचसीआर के प्रवक्ता ने कहा है कि म्यांमार को वापस लौटने वाले लोगों की सुरक्षा पक्की करनी होगी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक समझौते में यह साफ नहीं कहा गया है कि रोहिंग्याओं की वापसी कब से शुरू होगी. लेकिन इस बात का जिक्र जरूर है कि म्यांमार वापस लौटने वाले रोहिंग्याओं को अस्थायी आवास मुहैया कराएगा. वापस लौटने वाले लोगों के लिए म्यांमार घर भी बनाएगा.

बांग्लादेश की सरकार चाहती थी कि म्यांमार हर हफ्ते 15,000 लोगों को वापस ले. लेकिन इस बात पर सहमति नहीं बनी. दोनों देशों के बीच हर दिन 300 लोगों और हफ्ते में कुल 1,500 लोगों की वापसी का समझौता हुआ. हर तीन महीने बाद दोनों देश समझौते की समीक्षा करेंगे.

म्यांमार में रोहिंग्याओं को नागरिक नहीं माना जाता है. रोहिंग्याओं को वहां किसी भी तरह के नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका का आरोप है कि म्यांमार रोहिंग्याओं का नस्लीय सफाया कर रहा है. म्यांमार इन आरोपों से इनकार करता है.

ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)