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हज़ारों साल पुरानी ख़ुशबू

२९ मार्च २००९

जर्मनी के वैज्ञानिकों के सामने एक नई बोतलबंद पहेली है. बोतल इत्र की है और साढ़े तीन हज़ार साल पुराने एक पिरामिड से मिली है. वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा ही इत्र दोबारा बनाया जाए. पर कैसे?

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3500 साल पुराने इत्र की तलाशतस्वीर: Ägyptische Museum in Bonn

समय समय पर दुनिया भर के इंजीनियर और वैज्ञानिक पिरामिड और ममी से जुड़े रहस्यों को समझे के लिए माथापच्ची करते रहे हैं. कई दावे हुए. लेकिन अब जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय में कुछ वैज्ञानिक एक 12 सेंटीमीटर लंबी बोतल के अंदर के राज़ जानना चाह रहे हैं. इथोपिया के एक पिरामिड से मिली ये खूबसूरत छोटी सी बोतल धातु की नहीं है. मिट्टी और सगंमरमर की बनी है. बोतल क़रीब साढ़े तीन हज़ार साल पुरानी है. बोतल के अंदर है, सूख चुका इत्र. बॉन में मिस्र का म्युज़ियम के प्रवक्ता मैरिऑन होसहेई कहते हैं कि, ''हम जानना चाहते है कि आज से साढ़े तीन हज़ार साल पहले मिस्र की सभ्यता कैसी थी. हम उस समय के बारे में जानना चाहते हैं. हमने इस बोतल का सिटी स्कैन किया और पता चला कि इत्र सूख चुका है.''

ägyptische Pharaonin Hatschepsut
ममी के अंदर इत्रतस्वीर: Ägyptische Museum in Bonn

खोज बीन करने वालों के मुताबिक इस इत्र का इस्तेमाल मिस्त्र की तत्कालीन राजकुमारी फाराओ हेट्सेप्सुट करती थीं. हेट्सेप्सुट ने तब के मिस्र पर पच्चीस साल तक राज किया. बहरहाल, वैज्ञानिक चाहते हैं कि इस इत्र की हूबहू नकल तैयार की जाए. वैज्ञानिक बोतल का सीटी स्कैन भी कर चुके हैं. लेकिन कई चुनौतियां आ रही है. इत्र के बारे अब इक्का दुक्का बुनियादी बातें ही पता चल पाईं हैं. मैरिऑन होसहेई कहते हैं, ''जो जानकारी अभी तक मिल रही है, उससे लगता है कि ये इत्र पौधे के रस से बना हो सकता है. क्योंकि इसमें कुछ तेलीय गुण मिले हैं.

विज्ञान के प्रयोग करने वाले इस बात को भी जानते हैं कि पिरामिड के बाहर इन बोतलबंद पदार्थ को हमेशा के लिए सहेज कर नहीं रखा जा सकता है. लेकिन, अगर इत्र बनाने में वैज्ञानिक कामयाब हो जाते हैं, तो आने वाले दिनों में हम भी साढ़े तीन हज़ार साल पुरानी महक का मज़ा ले सकते हैं.

रिपोर्ट - ओंकार सिंह जनोटी

संपादन- एस जोशी