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स्पेन के इस इलाके में इस्लाम का उभार संयोग नहीं

२१ अगस्त २०१७

कट्टरपंथी इस्लाम के समर्थक स्पेन के दूसरे शहरों की तुलना में बार्सिलोना में ज्यादा सक्रिय हैं. इसकी कुछ वजह तो यहां की स्वायत्त सरकार है और कुछ यहां की बहुसंस्कृति वाली पहचान.

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Spanien Nach Terroranschlag in Barcelona Polizisten
तस्वीर: picture-alliance/Kyodo/MAXPPP

2010 में विकीलीक्स ने अमेरिकी विदेश विभाग की उस चिंता को सार्वजनिक कर दिया था जिसमें बार्सिलोना के युवा मुसलमानों को कट्टर बनाने की बात कही गई थी. विकीलिक्स ने तब कहा था, "काटालोनिया में साफतौर पर खतरा है."

यह शहर चिंता पैदा करने वाली कई गतिविधियों के केंद्र में हैं. विकीलीक्स के सार्वजनिक किए दावों के मुताबिक बड़ी तादाद में रहने वाले मुस्लिम समुदाय का एक छोटा सा कमजोर हिस्सा जिहादी गुटों के लिए काम पर रखा जा रहा है. उत्तरी अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश के प्रवासी आतंकवाद के लिए "लोगों की तलाश में रहने वालों को यहां खींच कर ला रहे हैं."

गुरुवार को हुए हमले के बाद स्पेन के अखबारों ने ऐसे आंकड़ों की शक्ल में खतरों की कई तस्वीरें छापी है. बार्सिलोना, मैड्रिड के साथ ही सेयुटा और मेलिला के शहरों में जिहादियों की बड़ी तादाद होने की बात कही गई है. कुल मिला कर मुस्लिम आबादी का करीब एक तिहाई हिस्सा इन्हीं शहरों में रहता है. 2012 से 2016 के बीच स्पेन भर से 178 जिहादियों को पकड़ा गया इनमें करीब 80 फीसदी इन्हीं चार शहरों से थे.

यह महज संयोग नहीं है कि स्पेन के मुस्लिमों की बड़ी आबादी काटालोनिया में रहती है. इस इलाके में फलती फूलती अर्थव्यवस्था को सस्ते मजदूरों की जरूरत है. पोलैंड के मजदूरों को लुभाने की कई नाकाम कोशिशों के बाद सरकार ने 2003 में कासाब्लांका में एक भर्ती केंद्र भी खोला था. इसके नतीजे में ज्यादा से ज्यादा मोरक्कोवासी भी काटालोनिया आए. 2015 में करीब पांच लाख मुस्लमान यहां रहते थे जो कुल आबादी का करीब सात फीसदी था.

2013 से आया बदलाव

2013 तक जिन जिहादी संदिग्धों को पकड़ा गया उनमें ज्यादातर विदेशी थे. खासतौर से मोरक्को, पाकिस्तान और अल्जीरिया से आए प्रावासी. आतंकवाद पर रिसर्च करने वाले फर्नांडो राइनारेस औरकारोला गार्सिया काल्वो के मुताबिक 2013 की शुरुआत में हालांकि स्थिति बदलनी शुरू हुई. उस साल के बाद से जिन लोगों को पकड़ा या उनमें से आधे स्पेन में ही जन्मे थे. ज्यादातर गिरफ्तारियां सेयुटा और मेलिला से हुई थीं. वास्तव में 2013 दो प्रकार से बदलाव का साल था. एक तरफ सीरिया की जंग की क्रूरता बढ़ गई थी और इसके नतीजे में युवा मुसलमानों का एक तबका उग्रपंथ के रास्ते पर चल निकला. दूसरी तरफ प्रवासी मुसलमानों के बच्चे अब जवान होने लगे थे. स्पेन के लिए मुस्लिम प्रवासी तुलनात्मक रूप से देखें तो थोड़ा नया शब्द है. 1990 में इसकी शुरुआत हुई और हाल ही में वो वक्त आया है जब प्रवासियों के बच्चे जवान होने शुरू हुए.

Kathedrale von Cordoba
तस्वीर: JMN/Cover/Getty Images

बहुसंस्कृतिवाद पर सवाल

पत्रकार इग्नासियो सेमब्रेरो ने एक किताब लिखी है "द स्पेन ऑफ अल्लाह" जिसमें उन्होंने कहा है, काटालोनिया की स्वायत्तशासी सरकार बार्सिलोना के बहुसांस्कृतिक वातावरण की बड़ी सराहना करती है लेकिन मुसलमान प्रवासियों को समाज के साथ मेलजोल बढ़ाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए बहुत कम काम करती है. सेमब्रेरो के मुताबिक बार्सिलोना यूरोप के बड़े शहरों में अकेला है जहां कोई बड़ी मस्जिद नहीं. शहर में छोटी मस्जिदों को बनाने के प्रस्ताव भी लगातार खारिज किए जा रहे हैं या फिर नगर का प्रशासन कम आकर्षक जगहों पर इन्हें बनाने की अनुमति देता है. कातलोनिया की सरकार स्कूलों में मुस्लिम धार्मिक शिक्षा शुरू करने से भी अपने पांव पीछे खींच रही है. इसके पीछे एक वजह अल अनदालुस से जुड़े मिथक भी हैं. यह मुस्लिम सत्ता थी जिसने स्पेन के ज्यादातर हिस्सों पर करीब 800 साल तक शासन किया, उसकी याद लोगों के जहन में अब भी ताजा है. यह भी एक कारण है कि अमीर खाड़ी के देशों की ओर से विशाल मस्जिद बनाने के प्रस्तावों को खारिज किया गया. सेमब्रेरो लिखते हैं,"कातलोनिया समेत पूरे स्पेन में अरब की दिलचस्पी है. उनके लिए पेट्रोडॉलर खर्च कर बर्लिन में मस्जिद बनाने से यह बिल्कुल अलग है. इस शहर में यूरोप के किसी शहर की तुलनाम में मुसलमानों की तादाद सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही यह सन् 801 से अल अनदालुस का हिस्सा भी था."

दोहरी पहचान, दोहरी समस्या

Spanien Las Ramblas in Barcelona
तस्वीर: Reuters/S. Perez

अगर स्पेन में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के मुस्लिम प्रवासियों के लिए अपने मां बाप की राष्ट्रीयता और स्पेन की पहचान के बीच बढ़ते तनाव को सुलझा पाना मुश्किल हो रहा है. वो परिवार में जिन परंपराओं और आस्था का पालन कर रहे है और जिस सेक्युलर वातवरण में रह रहे हैं उसमें बहुत फर्क है. यह विवाद काटालोनिया में और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. यहां का स्वायत्त समुदाय खुद स्पेन की सरकार से लड़ रहा है और यह इलाका जिस दोतरफा पहचान को जन्म देता है वो और समस्या खड़ी कर रही है. फर्नांडो राइनारेस लिखते हैं काटालोनिया में ना हम सिर्फ सलाफियों के आंदोलन को मजबूत होते देख रहे है बल्कि समाज भी पहचान के नाम पर बंट गया है." उनका ये भी कहना है कि कई प्रवासी ये भी नहीं जानते कि वो अपनी पहचान स्पेनी रखें या फिर काटालोनियाई. राइनारेस लिखते हैं कि यह कोई संयोग नहीं कि इन दोनों इलाकों में जिहादे के लिए भर्ती औसत से ज्यादा है. कई युवा प्रवासियों के लिए इस्लामी पहचान ज्यादा साफ है क्योंकि वो स्पेनी या काटालोनियाई के झंझट में नहीं पड़ना चाहते.

केर्स्टेन निप/एनआर