1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

स्तनपान के मामले में पिछड़े हैं समृद्ध देश

१० मई २०१८

मांएं अगर अपने शिशुओं को स्तनपान कराएं तो हर साल 8 लाख बच्चों की जान बच सकती है. स्तनपान के मामले में धनी देश सबसे ज्यादा पिछड़ेपन के शिकार हैं.

https://p.dw.com/p/2xUdG
Stillende Mutter mit ihrem Kind
तस्वीर: Colourbox

संयुक्त राष्ट्र बाल संस्था यूनिसेफ के मुताबिक मां के दूध में ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं जो पूरी जिंदगी बच्चों के काम आते हैं. यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक स्तनपान को बढ़ावा देने से दुनिया भर में हर साल आठ लाख से ज्यादा शिशुओं की जान बचाई जा सकती है. फिलहाल स्तनपान के कमी के चलते हर साल पांच साल से कम उम्र के 8,20,000 बच्चे मारे जाते हैं. सबसे ज्यादा खतरा छह महीने तक के शिशुओं को होता है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछड़े और विकासशील देशों की मांएं स्तनपान के मामले में विकसित देशों से कहीं आगे हैं. दुनिया भर में हर साल 76 लाख बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्होंने कभी मां का दूध नहीं पिया. भूटान, मेडागास्कर और पेरु जैसे देशों की स्थिति को रिपोर्ट में सराहा गया है. वहीं आयरलैंड, अमेरिका और स्पेन में हालत खराब है.

Belgien Stillen in der Öffentlichkeit
बेल्जियम में सार्वजनिक जगहों पर स्तनपान कराने का अधिकार मांगती महिलाएंतस्वीर: Getty Images/AFP/J. Roosens

मां का दूध शिशुओं के प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करता है. स्तनपान करने वाले शिशुओं का मस्तिष्क भी बेहतर तरीके से विकसित होता है और उनका आईक्यू भी ज्यादा होता है. स्तनपान कराने वाली मांओं को भी ब्रेस्ट और ओवरी के कैंसर का कम खतरा होता है. साथ ही प्रसव के बाद बहुत ज्यादा रक्तस्राव का जोखिम भी घटता है. यूनिसेफ का दावा है कि स्तनपान को बढ़ावा देने से हर साल 20,000 मांओं की जान भी बचाई जा सकती है.

यूनिसेफ की डिप्टी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शाहिदा अजफर कहती हैं, "चाहे वह अमीर हो या गरीब, स्तनपान के जरिए मां अपने शिशु और खुद को सबसे अच्छा तोहफा दे सकती है." यूनिसेफ की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनेरिटा ए फोर ने एक ट्वीट में लिखा, "बेस्टफीडिंग से बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और उन्हें जीवन में एक स्वस्थ शुरुआत मिलती है."

कई धनी देशों में सार्वजनिक जगहों पर शिशु को स्तनपान कराने को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. यूनिसेफ के मुताबिक महिलाओं को कामकाज के दौरान शिशु को स्तनपान कराने का अधिकार मिलना चाहिए. अस्पतालों से भी अपील की गई है कि वे प्रसव के घंटे भर बाद ही मांओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें. आदर्श रूप से शिशुओं को दो साल तक स्तनपान कराने की अपील की गई है.

रिपोर्ट: निकोल ग्योबेल/ओएसजे